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Swapna Premi (PB) 198

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Swapna Premi (HB)

Publisher:
Rajkamal
| Author:
Damodar Mauzo, Tr. Ramita Gurav
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Rajkamal
Author:
Damodar Mauzo, Tr. Ramita Gurav
Language:
Hindi
Format:
Hardback

347

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SKU 9789393768155 Category
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कोंकणी कथाकार दामोदर मावज़ो की ये कहानियाँ साधारण जनजीवन की सहज कथा-सम्पन्नता की साक्षी हैं। किसी भी बड़ी कलम की तरह मावज़ो की कहानियाँ भी बताती हैं कि हमारी निगाह किसी पूर्वाग्रह से बाधित न हो, तो हम हर कहीं एक कहानी देख सकते हैं, और बिना किसी शिल्प-चातुर्य का सहारा लिये उसे सीधे-सीधे बयान कर सकते हैं।
गोवा के जनजीवन से निकली ये कहानियाँ सार्वभौमिक और सार्वकालिक मानव-मनोभावों, कमज़ोरियों, सपनों और दुखों की कहानियाँ हैं। मावज़ो खुली आँख से अपने परिवेश को देखते हैं और कहानी सुनने-कहने की चिरन्तन मानवीय आकांक्षा के साथ उसे अपनी कहानियों में बयान कर देते हैं।
मूल कोंकणी से अनूदित उनकी चर्चित कहानियों के इस संग्रह में प्रेम, अभाव, धनहीनता के सन्ताप, उससे पैदा होनेवाली क्रूरता, चालाकी, निरुपायता के साथ आम लोगों की निष्पाप जिजीविषा, साहस और अन्य सकारात्मक जीवन-स्थितियों का अंकन बिलकुल वैसे ही किया गया है, जैसा वह हमारे जीवन में होता है।
ज़्यादातर कहानियों की पृष्ठभूमि गोवा की संस्कृति और जीवन-शैली है, जिससे हिन्दी पाठक को एक भिन्न आस्वाद से गुज़रने का मौक़ा मिलता है।
कहानियों की सबसे ज़्यादा मोहक विशेषता है, कहानी के बीच लेखक का सिर्फ़ एक माध्यम के रूप में रहना। किसी भी भाषिक या शैलीगत चमत्कार से अपनी मौजूदगी जताने की लेखकीय हताशा कथाकार में नहीं है, जो निश्चय ही उनके बड़ा रचनाकार होने का प्रमाण है। वे आपके इर्द-गिर्द अपने पात्रों को उनके भरे-पूरेपन के साथ आने देते हैं। आपको स्वयं उन्हें जानने, उनके साथ जीने का मौक़ा देते हैं।

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Description

कोंकणी कथाकार दामोदर मावज़ो की ये कहानियाँ साधारण जनजीवन की सहज कथा-सम्पन्नता की साक्षी हैं। किसी भी बड़ी कलम की तरह मावज़ो की कहानियाँ भी बताती हैं कि हमारी निगाह किसी पूर्वाग्रह से बाधित न हो, तो हम हर कहीं एक कहानी देख सकते हैं, और बिना किसी शिल्प-चातुर्य का सहारा लिये उसे सीधे-सीधे बयान कर सकते हैं।
गोवा के जनजीवन से निकली ये कहानियाँ सार्वभौमिक और सार्वकालिक मानव-मनोभावों, कमज़ोरियों, सपनों और दुखों की कहानियाँ हैं। मावज़ो खुली आँख से अपने परिवेश को देखते हैं और कहानी सुनने-कहने की चिरन्तन मानवीय आकांक्षा के साथ उसे अपनी कहानियों में बयान कर देते हैं।
मूल कोंकणी से अनूदित उनकी चर्चित कहानियों के इस संग्रह में प्रेम, अभाव, धनहीनता के सन्ताप, उससे पैदा होनेवाली क्रूरता, चालाकी, निरुपायता के साथ आम लोगों की निष्पाप जिजीविषा, साहस और अन्य सकारात्मक जीवन-स्थितियों का अंकन बिलकुल वैसे ही किया गया है, जैसा वह हमारे जीवन में होता है।
ज़्यादातर कहानियों की पृष्ठभूमि गोवा की संस्कृति और जीवन-शैली है, जिससे हिन्दी पाठक को एक भिन्न आस्वाद से गुज़रने का मौक़ा मिलता है।
कहानियों की सबसे ज़्यादा मोहक विशेषता है, कहानी के बीच लेखक का सिर्फ़ एक माध्यम के रूप में रहना। किसी भी भाषिक या शैलीगत चमत्कार से अपनी मौजूदगी जताने की लेखकीय हताशा कथाकार में नहीं है, जो निश्चय ही उनके बड़ा रचनाकार होने का प्रमाण है। वे आपके इर्द-गिर्द अपने पात्रों को उनके भरे-पूरेपन के साथ आने देते हैं। आपको स्वयं उन्हें जानने, उनके साथ जीने का मौक़ा देते हैं।

About Author

दामोदर मावज़ो

समकालीन कोंकणी साहित्य-जगत के महत्त्वपूर्ण हस्ताक्षर दामोदर मावज़ो का जन्म

1 अगस्त, 1944 को दक्षिण गोवा के मजोरडा में एक तटीय गाँव में हुआ। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा मराठी और पुर्तगाली भाषा में हुई। बॉम्बे विश्वविद्यालय (अब मुम्बई) से उन्होंने बी.कॉम. की पढ़ाई की।

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, सहिष्णुता तथा मानवीय मूल्यों के प्रखर समर्थक दामोदर मावज़ो ने कहानी, उपन्यास, निबन्ध, आलोचना, पटकथा-लेखन जैसी विविध विधाओं में लेखन किया है। कोंकणी में उनकी क़रीब पचीस किताबें तथा अंग्रेज़ी में एक किताब प्रकाशित हो चुकी है। उन्होंने कई किताबों का सम्पादन और अनुवाद भी किया है। उनकी पाँच किताबें अंग्रेज़ी में अनूदित हो चुकी हैं। कुछ किताबों का मराठी में भी अनुवाद हुआ है।

सम्मान: कार्मेलीन उपन्यास के लिए ‘साहित्य अकादेमी पुरस्कार’ (1983), सुनामी सायमन उपन्यास के लिए विश्व कोंकणी केन्द्र का ‘श्रीमती वी.वी.पाई पुरस्कार’, ‘गोवा राज्य सांस्कृतिक पुरस्कार’ और 57वें ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ (2022) से सम्मानित। टेरेसाज़ मैन एंड अदर स्टोरीज़ फ्रॉम गोवा को 2015 में ‘फ़्रैंक ओ कॉनर अन्तरराष्ट्रीय पुरस्कार’ के लिए नामांकित किया गया था।

सम्पर्क: dymauzo@gmail.com

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