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Beghar (PB)
Publisher:
Rajkamal
| Author:
Mamta Kaliya
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Rajkamal
Author:
Mamta Kaliya
Language:
Hindi
Format:
Paperback
₹199 ₹198
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ISBN:
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9789388183024
Category Hindi
Category: Hindi
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हिन्दी उपन्यास पुनर्परिभाषा के जिस बिन्दु पर आ पहुँचा है, वहीं ‘बेघर’ की कथा आरम्भ होती है। महानगरों में रहते युवा वर्ग के संघर्ष, सफलता और अन्तर्सम्बन्धों को आधुनिक, बेधक शिल्प में रेखांकित करता यह उपन्यास वर्तमान समय का दस्तावेज़ बन जाता है। परमजीत अकस्मात् संजीवनी से टकरा जाता है। एक दिन उन दोनों के जिस्म घुलमिल जाते हैं पर इस मिलन से ही नए सवाल जन्म लेते हैं। प्रेमी परमजीत को लगता है कि प्रेमिका संजीवनी असूर्यपश्या नहीं है, उसके जीवन का पहला पुरुष परमजीत नहीं है। यह वह क्षण है जब परमजीत प्रेमी की जगह पुरुष अहं को साकार करते हुए संजीवनी को छोड़ देता है। कौमार्य के मिथ की मार झेलती संजीवनी वापस अपने सूनेपन में सीमित रह जाती है जबकि परमजीत रमा से पारम्परिक विवाह कर लेता है। इस बार उसे तकनीकी तौर पर विशुद्ध ‘कुँवारी’ पत्नी मिलती है। ‘सुन्दर, सुशील और गृह-कार्य में दक्ष’ वर्ग में उसका शुमार होता है पर वह अपनी मानसिकता और जीवन-शैली में इतनी जड़ और जकड़बन्द है कि उसे बदलना परमजीत के लिए सम्भव नहीं है; बल्कि वह स्वयं, भावात्मक, दैहिक और मानसिक धरातल पर एकाकी होता चला जाता है। यह अकेलापन अन्तत: एक क्राइसिस पर समाप्त होता है। स्त्री को लेकर पुरुष-समाज में आज भी जो रूढ़ धारणाएँ, अमानवीय और अवैज्ञानिक सोच है, ममता कालिया का उपन्यास बेघर इन्हीं रूढ़ियों पर चोट करता है। समकालीन उपन्यासों में लेखिका की यह कथाकृति विशेष रूप से चर्चित व प्रशंसित रही है।
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Description
हिन्दी उपन्यास पुनर्परिभाषा के जिस बिन्दु पर आ पहुँचा है, वहीं ‘बेघर’ की कथा आरम्भ होती है। महानगरों में रहते युवा वर्ग के संघर्ष, सफलता और अन्तर्सम्बन्धों को आधुनिक, बेधक शिल्प में रेखांकित करता यह उपन्यास वर्तमान समय का दस्तावेज़ बन जाता है। परमजीत अकस्मात् संजीवनी से टकरा जाता है। एक दिन उन दोनों के जिस्म घुलमिल जाते हैं पर इस मिलन से ही नए सवाल जन्म लेते हैं। प्रेमी परमजीत को लगता है कि प्रेमिका संजीवनी असूर्यपश्या नहीं है, उसके जीवन का पहला पुरुष परमजीत नहीं है। यह वह क्षण है जब परमजीत प्रेमी की जगह पुरुष अहं को साकार करते हुए संजीवनी को छोड़ देता है। कौमार्य के मिथ की मार झेलती संजीवनी वापस अपने सूनेपन में सीमित रह जाती है जबकि परमजीत रमा से पारम्परिक विवाह कर लेता है। इस बार उसे तकनीकी तौर पर विशुद्ध ‘कुँवारी’ पत्नी मिलती है। ‘सुन्दर, सुशील और गृह-कार्य में दक्ष’ वर्ग में उसका शुमार होता है पर वह अपनी मानसिकता और जीवन-शैली में इतनी जड़ और जकड़बन्द है कि उसे बदलना परमजीत के लिए सम्भव नहीं है; बल्कि वह स्वयं, भावात्मक, दैहिक और मानसिक धरातल पर एकाकी होता चला जाता है। यह अकेलापन अन्तत: एक क्राइसिस पर समाप्त होता है। स्त्री को लेकर पुरुष-समाज में आज भी जो रूढ़ धारणाएँ, अमानवीय और अवैज्ञानिक सोच है, ममता कालिया का उपन्यास बेघर इन्हीं रूढ़ियों पर चोट करता है। समकालीन उपन्यासों में लेखिका की यह कथाकृति विशेष रूप से चर्चित व प्रशंसित रही है।
About Author
ममता कालिया
ममता कालिया का जन्म 2 नवम्बर, 1940 को वृन्दावन में हुआ। आपकी शिक्षा दिल्ली, मुम्बई, पुणे, नागपुर और इन्दौर शहरों में हुई। आप कहानी, नाटक, उपन्यास, निबन्ध, कविता और पत्रकारिता अर्थात् साहित्य की लगभग सभी विधाओं में हस्तक्षेप रखती हैं। हिन्दी कथा साहित्य के परिदृश्य पर आपकी उपस्थिति सातवें दशक से निरन्तर बनी हुई है। आप महात्मा गांधी अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय की त्रैमासिक अंग्रेज़ी पत्रिका ‘HINDI’ की सम्पादक भी रह चुकी हैं।
आपकी प्रमुख कृतियाँ हैं : ‘बेघर’, ‘नरक-दर-नरक’, ‘दौड़’, ‘दुक्खम सुक्खम’, ‘सपनों की होम डिलिवरी’, ‘कल्चर-वल्चर’ (उपन्यास); ‘छुटकारा’, ‘उसका यौवन’, ‘मुखौटा’, ‘जाँच अभी जारी है’, ‘सीट नम्बर छह’, ‘निर्मोही’, ‘प्रतिदिन’, ‘थोड़ा-सा प्रगतिशील’, ‘एक अदद औरत’, ‘बोलनेवाली औरत’, ‘पच्चीस साल की लड़की’, ‘ख़ुशक़िस्मत’, दो खंडों में अब तक की सम्पूर्ण कहानियाँ ‘ममता कालिया की कहानियाँ’ (कहानी-संग्रह);
‘A Tribute to Papa and other Poems’, ‘Poems ’78’, ‘खाँटी घरेलू औरत’, ‘कितने प्रश्न करूँ’, ‘पचास कविताएँ’ (कविता-संग्रह); ‘आप न बदलेंगे’ (एकांकी-संग्रह); ‘कल परसों के बरसों’, ‘सफ़र में हमसफ़र’, ‘कितने शहरों में कितनी बार’, ‘अन्दाज़-ए-बयाँ उर्फ़ रवि कथा’ (संस्मरण); ‘भविष्य का स्त्री-विमर्श’, ‘स्त्री-विमर्श का यथार्थ’, ‘स्त्री-विमर्श के तेवर’ (स्त्री-विमर्श); ‘महिला लेखन के सौ वर्ष’ (सम्पादन)।
आप ‘व्यास सम्मान’, ‘साहित्य भूषण सम्मान’, ‘यशपाल स्मृति सम्मान’, ‘महादेवी स्मृति पुरस्कार’, ‘राममनोहर लोहिया सम्मान’, ‘कमलेश्वर स्मृति सम्मान’, ‘सावित्री बाई फुले स्मृति सम्मान’, ‘अमृत सम्मान’, ‘लमही सम्मान’, ‘सीता पुरस्कार’ ढींगरा फैमिली फ़ाउंडेशन, अमेरिका का ‘लाइफ़टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड’, ‘ओ.पी. मालवीय स्मृति सम्मान’ से सम्मानित की जा चुकी हैं।
ई-मेल : mamtakalia011@gmail.com
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