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Sampurna Upanyas : Mannu Bhandari (HB)
Publisher:
Radhakrishna Prakashan
| Author:
Mannu Bhandari
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Radhakrishna Prakashan
Author:
Mannu Bhandari
Language:
Hindi
Format:
Hardback
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Category: Hindi
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मूलतः कहानीकार और भारतीय स्त्री की जटिल मनोभूमि का उत्खनन करनेवाली अनेक कहानियों की रचयिता मन्नू जी ने उपन्यास कम ही लिखे हैं। जिन दो उपन्यासों, ‘आपका बंटी’ और ‘महाभोज’, के लिए उन्हें विशेष तौर पर जाना जाता है, वे हिन्दी उपन्यास के इतिहास में क्लासिक का दर्जा रखते हैं। उनकी उपन्यास-कला ने अपने उसी सहज रास्ते अपना आकार लिया जिससे उनकी रचनात्मकता के अन्य रूप कहानियों में उतरे थे। इसलिए ‘आपका बंटी’ और ‘महाभोज’ को भी किसी शिल्पगत चमत्कार के लिए नहीं, अपनी विषयवस्तु के प्रामाणिक प्रस्तुतीकरण और अबाध पठनीयता के लिए जाना जाता है।
‘एक इंच मुस्कान’ भी जो रचनाक्रम के लिहाज़ से मन्नू जी का पहला उपन्यास है और अपनी संरचना में प्रयोगधर्मी भी, इस विशेषता से रहित नहीं है। सर्वविदित है कि यह उपन्यास मन्नू भंडारी और राजेन्द्र यादव की संयुक्त रचना है, जिसकी रचना-प्रक्रिया के विषय में मन्नू जी ने प्रस्तुत पुस्तक की भूमिका में विस्तार से जानकारी दी है। इन तीन उपन्यासों के साथ इस संकलन में मन्नू जी के अन्तिम उपन्यास ‘स्वामी’ को भी रखा गया है। मूलतः शरत की इसी नाम की कहानी पर आधारित यह उपन्यास अपने चरित्रों की संरचना और तेवर में मूल से इतना दूर आ जाता है कि वह लेखिका की अपनी ही स्वतंत्र रचना हो जाता है। मन्नू जी के चारों उपन्यासों की यह प्रस्तुति उनके पाठकों के साथ-साथ हिन्दी साहित्य के अध्येताओं और शोधार्थियों के लिए भी उपादेय होगी।
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Description
मूलतः कहानीकार और भारतीय स्त्री की जटिल मनोभूमि का उत्खनन करनेवाली अनेक कहानियों की रचयिता मन्नू जी ने उपन्यास कम ही लिखे हैं। जिन दो उपन्यासों, ‘आपका बंटी’ और ‘महाभोज’, के लिए उन्हें विशेष तौर पर जाना जाता है, वे हिन्दी उपन्यास के इतिहास में क्लासिक का दर्जा रखते हैं। उनकी उपन्यास-कला ने अपने उसी सहज रास्ते अपना आकार लिया जिससे उनकी रचनात्मकता के अन्य रूप कहानियों में उतरे थे। इसलिए ‘आपका बंटी’ और ‘महाभोज’ को भी किसी शिल्पगत चमत्कार के लिए नहीं, अपनी विषयवस्तु के प्रामाणिक प्रस्तुतीकरण और अबाध पठनीयता के लिए जाना जाता है।
‘एक इंच मुस्कान’ भी जो रचनाक्रम के लिहाज़ से मन्नू जी का पहला उपन्यास है और अपनी संरचना में प्रयोगधर्मी भी, इस विशेषता से रहित नहीं है। सर्वविदित है कि यह उपन्यास मन्नू भंडारी और राजेन्द्र यादव की संयुक्त रचना है, जिसकी रचना-प्रक्रिया के विषय में मन्नू जी ने प्रस्तुत पुस्तक की भूमिका में विस्तार से जानकारी दी है। इन तीन उपन्यासों के साथ इस संकलन में मन्नू जी के अन्तिम उपन्यास ‘स्वामी’ को भी रखा गया है। मूलतः शरत की इसी नाम की कहानी पर आधारित यह उपन्यास अपने चरित्रों की संरचना और तेवर में मूल से इतना दूर आ जाता है कि वह लेखिका की अपनी ही स्वतंत्र रचना हो जाता है। मन्नू जी के चारों उपन्यासों की यह प्रस्तुति उनके पाठकों के साथ-साथ हिन्दी साहित्य के अध्येताओं और शोधार्थियों के लिए भी उपादेय होगी।
About Author
मन्नू भंडारी
भानपुरा, मध्य प्रदेश में 3 अप्रैल, 1931 को जन्मी मन्नू भंडारी को लेखन-संस्कार पिता श्री सुखसम्पतराय से विरासत में मिले। स्नातकोत्तर के उपरान्त लेखन के साथ-साथ वर्षों दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा हाउस में हिन्दी का अध्यापन। विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन में ‘प्रेमचन्द सृजनपीठ’ की अध्यक्ष भी रहीं।
‘आपका बंटी’ और ‘महाभोज’ आपकी चर्चित औपन्यासिक कृतियाँ हैं। अन्य उपन्यास हैं ‘एक इंच मुस्कान’ (राजेन्द्र यादव के साथ) तथा ‘स्वामी’। ये सभी उपन्यास ‘सम्पूर्ण उपन्यास’ शीर्षक से एक जिल्द में भी उपलब्ध हैं।
आपके कहानी-संग्रह हैं—‘एक प्लेट सैलाब’, ‘मैं हार गई’, ‘तीन निगाहों की एक तस्वीर’, ‘यही सच है’, ‘प्रतिनिधि कहानियाँ’ तथा सभी कहानियों का समग्र ‘सम्पूर्ण कहानियाँ’। ‘एक कहानी यह भी’ आपकी आत्मकथ्यात्मक पुस्तक है जिसे आपने अपनी 'लेखकीय आत्मकथा’ कहा है। ‘निर्मला’ और ‘रजनीगंधा’ आपकी पटकथा पुस्तकें हैं। ‘महाभोज’, ‘बिना दीवारों के घर’, ‘उजली नगरी चतुर राजा’ नाट्य-कृतियाँ तथा बच्चों के लिए पुस्तकों में प्रमुख हैं—‘आसमाता’ (उपन्यास), ‘आँखों देखा झूठ’, ‘कलवा’ (कहानी) आदि।
आप 'व्यास सम्मान’, 'शिखर सम्मान’ (हिन्दी अकादमी, दिल्ली), 'शब्द साधक शिखर सम्मान’ आदि से सम्मानित की जा चुकी हैं।
निधन : 15 नवम्बर, 2021
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