SaleSold outHardback
Sampurna Kahaniyan : Manzoor Ehtesham (HB)
₹895 ₹627
Save: 30%
Salam Aakhiri (PB)
₹399 ₹279
Save: 30%
Salam Aakhiri (HB)
Publisher:
Rajkamal
| Author:
Madhu Kankariya
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Rajkamal
Author:
Madhu Kankariya
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹350 ₹245
Save: 30%
Out of stock
Receive in-stock notifications for this.
Ships within:
3-5 days
Out of stock
ISBN:
SKU
9788126704477
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
समाज में वेश्या की मौजूदगी एक ऐसा चिरन्तन सवाल है जिससे हर समाज हर युग में अपने-अपने ढंग से जूझता रहा है। वेश्या को कभी लोगों ने सभ्यता की ज़रूरत बताया, कभी कलंक बताया, कभी परिवार की क़िलेबन्दी का बाई-प्रोडक्ट कहा और कभी सभ्य, सफ़ेदपोश दुनिया का गटर जो ‘उनकी’ काम-कल्पनाओं और कुंठाओं के कीचड़ को दूर अँधेरे में ले जाकर डंप कर देता है। इधर वेश्याओं को एक सामान्य कर्मचारी का दर्जा दिलाए जाने की क़वायद भी शुरू हुई है। लेकिन
ऐसा कभी नहीं हुआ कि समाज अपनी पूरी इच्छाशक्ति के साथ वेश्यावृत्ति के उन्मूलन के लिए कटिबद्ध हो जाए; इस अभिशाप के उन्मूलन के नाम पर तमाम तरह के उत्पीड़न-दमन और शोषण का शिकार वेश्याएँ ज़रूर होती रही हैं।
यह उपन्यास वेश्याओं और वेश्यावृत्ति के पूरे परिदृश्य को देखते हुए हमारे भीतर उन असहाय स्त्रियों के प्रति करुणा का उद्रेक करता है, जो किसी भी कारण इस बदनाम और नारकीय व्यवसाय में आ फँसी हैं।
कलकत्ता के सोनागाछी रेड लाइट एरिया की अँधेरी गलियों का सीधा साक्षात्कार कराते हुए लेखिका सभ्य समाज की संवेदनहीनता और कठोरता को भी साथ-साथ झिंझोड़ती चलती है; यही चीज़ इस उपन्यास को सिर्फ़ एक कथा-पुस्तक की हद से निकालकर एक दस्तावेज़ में बदल देती है।
Be the first to review “Salam Aakhiri (HB)” Cancel reply
Description
समाज में वेश्या की मौजूदगी एक ऐसा चिरन्तन सवाल है जिससे हर समाज हर युग में अपने-अपने ढंग से जूझता रहा है। वेश्या को कभी लोगों ने सभ्यता की ज़रूरत बताया, कभी कलंक बताया, कभी परिवार की क़िलेबन्दी का बाई-प्रोडक्ट कहा और कभी सभ्य, सफ़ेदपोश दुनिया का गटर जो ‘उनकी’ काम-कल्पनाओं और कुंठाओं के कीचड़ को दूर अँधेरे में ले जाकर डंप कर देता है। इधर वेश्याओं को एक सामान्य कर्मचारी का दर्जा दिलाए जाने की क़वायद भी शुरू हुई है। लेकिन
ऐसा कभी नहीं हुआ कि समाज अपनी पूरी इच्छाशक्ति के साथ वेश्यावृत्ति के उन्मूलन के लिए कटिबद्ध हो जाए; इस अभिशाप के उन्मूलन के नाम पर तमाम तरह के उत्पीड़न-दमन और शोषण का शिकार वेश्याएँ ज़रूर होती रही हैं।
यह उपन्यास वेश्याओं और वेश्यावृत्ति के पूरे परिदृश्य को देखते हुए हमारे भीतर उन असहाय स्त्रियों के प्रति करुणा का उद्रेक करता है, जो किसी भी कारण इस बदनाम और नारकीय व्यवसाय में आ फँसी हैं।
कलकत्ता के सोनागाछी रेड लाइट एरिया की अँधेरी गलियों का सीधा साक्षात्कार कराते हुए लेखिका सभ्य समाज की संवेदनहीनता और कठोरता को भी साथ-साथ झिंझोड़ती चलती है; यही चीज़ इस उपन्यास को सिर्फ़ एक कथा-पुस्तक की हद से निकालकर एक दस्तावेज़ में बदल देती है।
About Author
मधु काँकरिया
मधु कांकरिया का जन्म 23 मार्च, 1957 को हुआ। उन्होंने कोलकाता यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में एम.ए. किया है। उनकी प्रकाशित कृतियाँ हैं—‘खुले गगन के लाल सितारे’, ‘सलाम आख़िरी’, ‘पत्ताखोर’, ‘सेज पर संस्कृत’, ‘सूखते चिनार’, ‘हम यहाँ थे’ (उपन्यास); ‘बीतते हुए’, ‘...और अन्त में ईशु’, ‘चिड़िया ऐसे मरती है’, ‘पाँच बेहतरीन कहानियाँ’, ‘भरी दोपहरी के अँधेरे’, ‘दस प्रतिनिधि कहानियाँ’, ‘युद्ध और बुद्ध’, ‘स्त्री मन की कहानियाँ’, ‘जलकुम्भी’, ‘नंदीग्राम के चूहे’ (कहानी-संग्रह); ‘अपनी धरती अपने लोग’ (सामाजिक- विमर्श); ‘बादलों में बारूद’ (यात्रा-वृत्तान्त)। तेलुगू, मराठी आदि कई भाषाओं में रचनाओं के अनुवाद प्रकाशित।
आप ‘कर्तृत्व समग्र सम्मान’ भारतीय भाषा परिषद् (2020), ‘प्रेमचन्द स्मृति कथा सम्मान’ (2018), ‘शरत चन्द्र साहित्य सम्मान’ (2020), ‘रत्नीदेवी गोयनका वाग्देवी सम्मान’ (2018), ‘कथा क्रम सम्मान’ (2008), ‘विजय वर्मा कथा सम्मान’ (2012), ‘शिवकुमार मिश्र स्मृति कथा सम्मान’ (2015), ‘हेमचन्द्राचार्य साहित्य सम्मान‘ (2009), ‘मीरा स्मृति सम्मान’ (2019), ‘समाज गौरव सम्मान’ (2009) आदि पुरस्कारों से सम्मानित हैं।
सम्पर्क : 72 ए, विधान सरणी, तीसरी मंज़िल, फ्लैट 3 सी, कोलकाता-700006
ईमेल : madhu.kankaria07@gmail.com
Reviews
There are no reviews yet.
Be the first to review “Salam Aakhiri (HB)” Cancel reply
[wt-related-products product_id="test001"]
Related products
RELATED PRODUCTS
Ganeshshankar Vidyarthi – Volume 1 & 2
Save: 30%
Horaratnam of Srimanmishra Balabhadra (Vol. 2): Hindi Vyakhya
Save: 20%
Horaratnam of Srimanmishra Balbhadra (Vol. 1): Hindi Vyakhya
Save: 10%
Horaratnam of Srimanmishra Balbhadra (Vol. 1): Hindi Vyakhya
Save: 10%
Purn Safalta ka Lupt Gyan Bhag-1 | Dr.Virindavan Chandra Das
Save: 20%
Sacred Books of the East (50 Vols.)
Save: 10%
Reviews
There are no reviews yet.