SalePaperback
Shakuntal (PB)
Publisher:
Radhakrishna Prakashan
| Author:
Kalidas, Tr. Mohan Rakesh
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Radhakrishna Prakashan
Author:
Kalidas, Tr. Mohan Rakesh
Language:
Hindi
Format:
Paperback
₹299 ₹239
Save: 20%
In stock
Ships within:
1-4 Days
In stock
ISBN:
SKU
9789391950156
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
महाभारत के आदिपर्व में उपलब्ध एक छोटे-से आख्यान पर आधारित महाकवि कालिदास का नाटक ‘अभिज्ञानशाकुंतलम्’ संस्कृत रंगमंच की शास्त्रीय नाट्य-परम्परा का अप्रतिम उदाहरण है, जिसका हिन्दी रूपान्तर सुप्रसिद्ध कहानीकार और नाटककार मोहन राकेश ने ‘शाकुंतल’ के नाम से वर्षों पहले किया था।
संस्कृत की सम्पूर्ण नाट्य-परम्परा में ‘शाकुंतल’ अपने कथ्य एवं संरचना की दृष्टि से एक बेजोड़ नाटक इस अर्थ में भी है कि इसे पढ़कर प्राय: यह भ्रम हो जाता है कि भरत ने अपने ‘नाट्यशास्त्र’ के लिए इस नाटक को आधार बनाया अथवा कालिदास ने ‘नाट्यशास्त्र’ से प्रेरणा ग्रहण करके इस नाटक की रचना की। वास्तव में यहाँ शास्त्र और रचनात्मक लेखन का अद्भुत संगम देखने को मिलता है।
प्रेम जैसे शाश्वत कथ्य पर आश्रित होकर भी ‘शाकुंतल’ में प्रेम की जिस परिणति एवं पराकाष्ठा का चित्रण किया गया है, वह अन्यत्र दुर्लभ है।
मानवीय सम्बन्धों के बेहद मार्मिक, सूक्ष्म और गहरे प्रसंगों के लिए ‘शाकुंतल’ सदैव अपना सर्वोपरि स्थान बनाए रखेगा। डेढ़-दो हज़ार वर्षों के लम्बे अन्तराल की अग्निपरीक्षा से गुज़रकर भी ‘शाकुंतल’ उतना ही नया और ताज़ा लगता है।
हमें विश्वास है कि अपने रूपान्तर में पाठकों, अध्येताओं और रंगकर्मियों के बीच ‘शाकुंतल’ का पुन: वैसा ही स्वागत होगा, जैसा कि पहले संस्करण के समय हुआ था।
Be the first to review “Shakuntal (PB)” Cancel reply
Description
महाभारत के आदिपर्व में उपलब्ध एक छोटे-से आख्यान पर आधारित महाकवि कालिदास का नाटक ‘अभिज्ञानशाकुंतलम्’ संस्कृत रंगमंच की शास्त्रीय नाट्य-परम्परा का अप्रतिम उदाहरण है, जिसका हिन्दी रूपान्तर सुप्रसिद्ध कहानीकार और नाटककार मोहन राकेश ने ‘शाकुंतल’ के नाम से वर्षों पहले किया था।
संस्कृत की सम्पूर्ण नाट्य-परम्परा में ‘शाकुंतल’ अपने कथ्य एवं संरचना की दृष्टि से एक बेजोड़ नाटक इस अर्थ में भी है कि इसे पढ़कर प्राय: यह भ्रम हो जाता है कि भरत ने अपने ‘नाट्यशास्त्र’ के लिए इस नाटक को आधार बनाया अथवा कालिदास ने ‘नाट्यशास्त्र’ से प्रेरणा ग्रहण करके इस नाटक की रचना की। वास्तव में यहाँ शास्त्र और रचनात्मक लेखन का अद्भुत संगम देखने को मिलता है।
प्रेम जैसे शाश्वत कथ्य पर आश्रित होकर भी ‘शाकुंतल’ में प्रेम की जिस परिणति एवं पराकाष्ठा का चित्रण किया गया है, वह अन्यत्र दुर्लभ है।
मानवीय सम्बन्धों के बेहद मार्मिक, सूक्ष्म और गहरे प्रसंगों के लिए ‘शाकुंतल’ सदैव अपना सर्वोपरि स्थान बनाए रखेगा। डेढ़-दो हज़ार वर्षों के लम्बे अन्तराल की अग्निपरीक्षा से गुज़रकर भी ‘शाकुंतल’ उतना ही नया और ताज़ा लगता है।
हमें विश्वास है कि अपने रूपान्तर में पाठकों, अध्येताओं और रंगकर्मियों के बीच ‘शाकुंतल’ का पुन: वैसा ही स्वागत होगा, जैसा कि पहले संस्करण के समय हुआ था।
About Author
कालिदास
संस्कृत भाषा के सबसे महान कवि और नाटककार। उन्होंने भारत की पौराणिक कथाओं और दर्शन को आधार बनाकर रचनाएँ कीं। कालिदास अपनी अलंकारयुक्त सुन्दर, सरल और मधुर भाषा के लिए विशेष रूप से जाने जाते हैं। उनके ऋतु वर्णन अद्वितीय हैं और उनकी उपमाएँ बेमिसाल। संगीत उनके साहित्य का प्रमुख अंग है और रस का सृजन करने में उनकी कोई उपमा नहीं। उन्होंने अपने शृंगार रस प्रधान साहित्य में भी साहित्यिक सौन्दर्य के साथ-साथ आदर्शवादी परम्परा और नैतिक मूल्यों का समुचित ध्यान रखा है। उनका स्थान वाल्मीकि और व्यास की परम्परा में है।
रचनाएँ : ‘अभिज्ञान शाकुंतल’ (सात अंकों का नाटक); ‘विक्रमोर्वशीय’ (पाँच अंकों का नाटक); ‘मालविकाग्निमित्र’ (पाँच अंकों का नाटक); ‘रघुवंश’ (उन्नीस सर्गों का महाकाव्य); ‘कुमारसम्भव’ (सत्रह सर्गों का महाकाव्य); ‘मेघदूत’ (एक सौ ग्यारह छन्दों की कविता); ‘ऋतुसंहार’ (ऋतुओं का वर्णन)।
Reviews
There are no reviews yet.
Be the first to review “Shakuntal (PB)” Cancel reply
[wt-related-products product_id="test001"]
Related products
RELATED PRODUCTS
Ganeshshankar Vidyarthi – Volume 1 & 2
Save: 30%
Horaratnam of Srimanmishra Balabhadra (Vol. 2): Hindi Vyakhya
Save: 20%
Horaratnam of Srimanmishra Balbhadra (Vol. 1): Hindi Vyakhya
Save: 10%
Purn Safalta ka Lupt Gyan Bhag-1 | Dr.Virindavan Chandra Das
Save: 20%
Sacred Books of the East (50 Vols.)
Save: 10%
Reviews
There are no reviews yet.