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Raza : Jaisa Maine Dekha (HB)
Publisher:
Rajkamal
| Author:
Akhilesh
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Rajkamal
Author:
Akhilesh
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹495 ₹347
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In stock
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3-5 days
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ISBN:
SKU
9788195099535
Category Hindi
Category: Hindi
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आकारों, बिन्दुओं और रंगों के साथ अपने देखे और महसूस किए गए की सबसे भीतरी और अमूर्त भित्ति को चित्रित करने तथा द्रष्टा को इसके माध्यम से अपने अन्तस की यात्रा के लिए प्रेरित करनेवाले चित्रकार सैयद हैदर रज़ा के जीवन और रचना का यह बहुत निकट से देखा गया विवरण है।
यह और विशेष इसलिए है कि इसे हमारे समय के अत्यन्त संवेदनशील और कृती चित्रकार अखिलेश ने अपनी स्वयं की आँख से देखकर, और रज़ा के सम्पूर्ण को अंगीकार करके लिखा है। रज़ा के बनने के सफ़र को चिन्हित करते हुए वे अपने कलाकार की यात्रा को भी साथ-साथ इंगित करते चलते हैं। इस तरह यह किताब एक साधारण पाठक के लिए भी चित्रकला के संसार की बहुत सारी जटिल वीथियों को आसान कर देती है।
हिन्दी का सामान्य पाठक साहित्येतर विधाओं और विषयों को लेकर बहुत आग्रहशील नहीं रहता। चित्रकला की बारीक पड़ताल की तरफ़ तो वह शायद ही कभी जाता हो। इसकी एक वजह इस विषय में ऐसी किताबों का न होना भी हो सकता है जो चित्रकला की रचना-प्रक्रिया को उतने सजीव रूप में प्रस्तुत करती हों, जिससे उपन्यासों-कहानियों का पाठक अपने आन्तरिक भावों का तालमेल रेखाओं के अमूर्त आरोह-अवरोह से बना सके।
यह किताब इस कमी को पूरा करती है। जैसा कि आरम्भिक परिचय में व्योमेश शुक्ल कहते हैं, “वह बात करने की बहुत-सी विधियों को आजमाते हैं। मिसाल के लिए यही मज़मून जो ज़्यादातर कला-आलोचना है, कहीं कहानी, कहीं संस्मरण तो कहीं जीवन-विवरण भी है।…एक खंडित जीवनी जो क्रमानुक्रम का अतिक्रमण करके सम्भव हुई है। …एक ऐसा आईना—जिसमें वस्तु-संसार के साथ-साथ लेखक के आत्म के रेशे हिल-मिलकर झाँकते हैं। …इस पुस्तक में अखिलेश नए लोगों के लिए एक महान भारतीय कलाकार की बहुत भरोसेमंद और कुशाग्र जीवनी लिख रहे हैं।”
आधुनिक भारतीय चित्रकला में रुचि रखनेवाले पाठकों और विद्यार्थियों के लिए यह किताब सन्दर्भ-ग्रन्थ की अहमियत भी रखती है। इससे गुज़रने के बाद कला का गूढ़ हमारे लिए उतना पराया नहीं रह जाता जितना हमें सामान्यतः लगता है। रंगों और आकारों का महीन रोमांच हमें यहाँ बहुत स्पष्ट और नज़दीक खिलता-खुलता महसूस होता है।
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Description
आकारों, बिन्दुओं और रंगों के साथ अपने देखे और महसूस किए गए की सबसे भीतरी और अमूर्त भित्ति को चित्रित करने तथा द्रष्टा को इसके माध्यम से अपने अन्तस की यात्रा के लिए प्रेरित करनेवाले चित्रकार सैयद हैदर रज़ा के जीवन और रचना का यह बहुत निकट से देखा गया विवरण है।
यह और विशेष इसलिए है कि इसे हमारे समय के अत्यन्त संवेदनशील और कृती चित्रकार अखिलेश ने अपनी स्वयं की आँख से देखकर, और रज़ा के सम्पूर्ण को अंगीकार करके लिखा है। रज़ा के बनने के सफ़र को चिन्हित करते हुए वे अपने कलाकार की यात्रा को भी साथ-साथ इंगित करते चलते हैं। इस तरह यह किताब एक साधारण पाठक के लिए भी चित्रकला के संसार की बहुत सारी जटिल वीथियों को आसान कर देती है।
हिन्दी का सामान्य पाठक साहित्येतर विधाओं और विषयों को लेकर बहुत आग्रहशील नहीं रहता। चित्रकला की बारीक पड़ताल की तरफ़ तो वह शायद ही कभी जाता हो। इसकी एक वजह इस विषय में ऐसी किताबों का न होना भी हो सकता है जो चित्रकला की रचना-प्रक्रिया को उतने सजीव रूप में प्रस्तुत करती हों, जिससे उपन्यासों-कहानियों का पाठक अपने आन्तरिक भावों का तालमेल रेखाओं के अमूर्त आरोह-अवरोह से बना सके।
यह किताब इस कमी को पूरा करती है। जैसा कि आरम्भिक परिचय में व्योमेश शुक्ल कहते हैं, “वह बात करने की बहुत-सी विधियों को आजमाते हैं। मिसाल के लिए यही मज़मून जो ज़्यादातर कला-आलोचना है, कहीं कहानी, कहीं संस्मरण तो कहीं जीवन-विवरण भी है।…एक खंडित जीवनी जो क्रमानुक्रम का अतिक्रमण करके सम्भव हुई है। …एक ऐसा आईना—जिसमें वस्तु-संसार के साथ-साथ लेखक के आत्म के रेशे हिल-मिलकर झाँकते हैं। …इस पुस्तक में अखिलेश नए लोगों के लिए एक महान भारतीय कलाकार की बहुत भरोसेमंद और कुशाग्र जीवनी लिख रहे हैं।”
आधुनिक भारतीय चित्रकला में रुचि रखनेवाले पाठकों और विद्यार्थियों के लिए यह किताब सन्दर्भ-ग्रन्थ की अहमियत भी रखती है। इससे गुज़रने के बाद कला का गूढ़ हमारे लिए उतना पराया नहीं रह जाता जितना हमें सामान्यतः लगता है। रंगों और आकारों का महीन रोमांच हमें यहाँ बहुत स्पष्ट और नज़दीक खिलता-खुलता महसूस होता है।
About Author
अखिलेश
सुप्रसिद्ध चित्रकार, गद्य लेखक, अनुवादक।
जनम : 28 अगस्त, 1956; इन्दौर।
शिक्षा : नेशनल डिप्लोमा इन पेंटिंग (1978)।
प्रकाशित प्रमुख कृतियाँ : ‘दरसपोथी’, ‘अचम्भे का रोना’, ‘शीर्षक नहीं’, ‘देखना’, ‘मक़बूल फ़िदा हुसैन’ (कला-लेख); ‘मक़बूल’ (मक़बूल फ़िदा हुसैन की जीवनी का); ‘आप-बीती’ (मार्क शागाल की आत्मकथा का अनुवाद)।
सम्मान : ‘भारत भवन बिनाले सम्मान’, ‘रज़ा फ़ाउंडेशन सम्मान’, ‘कला कौस्तुभ सम्मान’, ‘वागेश्वरी सम्मान’, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार की ‘सीनियर आर्टिस्ट फ़ेलोशिप’ आदि।
सम्पर्क : 56akhilesh@gmail.com
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