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Bhartiya Sahitya : Sthapanayen Aur Prastavanayen (HB)
Publisher:
Rajkamal
| Author:
K. Satchidanandan
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Rajkamal
Author:
K. Satchidanandan
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹595 ₹417
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9788126707072
Category Hindi
Category: Hindi
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भारतीय साहित्य भारत के जनगण की ही तरह विविधता और एकता के परस्पर सूत्रों से बुनी हुई एक सघन इकाई है। विभिन्न धाराओं, व्यक्तित्वों और विचार-सरणियों के लोकतांत्रिक अन्तर्गुम्फन से ही वह अस्तित्व में आती है। वरिष्ठ मलयाली कवि और चिन्तक के. सच्चिदानन्दन की यह पुस्तक एक तरफ़ जहाँ इस विविधता के सूत्रों को रेखांकित करती है, वहीं साहित्य और विशेषकर भारतीय साहित्य की वर्तमान स्थिति व उसके सामने उपस्थित चुनौतियों का भी अन्वेषण करती है। मूल रूप से अंग्रेज़ी में ‘इंडियन लिटरेचर : पोजीशंस एंड प्री पोजीशंस’ नाम से प्रकाशित और बहुपठित इस पुस्तक में मिर्ज़ा ग़ालिब, महाश्वेता देवी, ए.के. रामानुजन, वी.एस. खांडेकर, कमलादास, चन्द्रशेखर कंबार, केदारनाथ सिंह, सीताकान्त महापात्र, ओक्टावियो पाज़ और पाब्लो नेरुदा जैसे साहित्य-स्तम्भों के साथ-साथ साहित्य की मौजूदा चिन्ताओं और प्रवृत्तियों को चिन्तन का विषय बनाया गया है।
पाठक इस निबन्ध संकलन में उत्तर-आधुनिकता, आधुनिकता, दलित-लेखन, स्त्री-लेखन, भारतीय आख्यान परम्परा, पाठक की नई भूमिका, आधुनिक लेखक की दुविधाएँ तथा कविता का कार्य आदि अनेक समकालीन तथा ज्वलन्त मुद्दों पर भी विचारोत्तेजक सामग्री पाएँगे।
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Description
भारतीय साहित्य भारत के जनगण की ही तरह विविधता और एकता के परस्पर सूत्रों से बुनी हुई एक सघन इकाई है। विभिन्न धाराओं, व्यक्तित्वों और विचार-सरणियों के लोकतांत्रिक अन्तर्गुम्फन से ही वह अस्तित्व में आती है। वरिष्ठ मलयाली कवि और चिन्तक के. सच्चिदानन्दन की यह पुस्तक एक तरफ़ जहाँ इस विविधता के सूत्रों को रेखांकित करती है, वहीं साहित्य और विशेषकर भारतीय साहित्य की वर्तमान स्थिति व उसके सामने उपस्थित चुनौतियों का भी अन्वेषण करती है। मूल रूप से अंग्रेज़ी में ‘इंडियन लिटरेचर : पोजीशंस एंड प्री पोजीशंस’ नाम से प्रकाशित और बहुपठित इस पुस्तक में मिर्ज़ा ग़ालिब, महाश्वेता देवी, ए.के. रामानुजन, वी.एस. खांडेकर, कमलादास, चन्द्रशेखर कंबार, केदारनाथ सिंह, सीताकान्त महापात्र, ओक्टावियो पाज़ और पाब्लो नेरुदा जैसे साहित्य-स्तम्भों के साथ-साथ साहित्य की मौजूदा चिन्ताओं और प्रवृत्तियों को चिन्तन का विषय बनाया गया है।
पाठक इस निबन्ध संकलन में उत्तर-आधुनिकता, आधुनिकता, दलित-लेखन, स्त्री-लेखन, भारतीय आख्यान परम्परा, पाठक की नई भूमिका, आधुनिक लेखक की दुविधाएँ तथा कविता का कार्य आदि अनेक समकालीन तथा ज्वलन्त मुद्दों पर भी विचारोत्तेजक सामग्री पाएँगे।
About Author
के. सच्चिदानन्दन
जन्म : 28 मई, 1946
के. सच्चिदानन्दन मलयालम के आधुनिक और आधुनिकोत्तर कवियों में अग्रणी हैं। मलयालम में आपकी कविताओं के अलावा अनूदित कविताओं, नाटक, आलोचना और साक्षात्कार के कई संकलन प्रकाशित हैं। अंग्रेज़ी, तमिल, हिन्दी, गुजराती, कन्नड़, बांग्ला, पंजाबी और ओड़िया भाषाओं में अनूदित आपकी कविताओं के कई संकलन भी प्रकाशित हैं। आपकी अंग्रेज़ी रचनाओं का एक संग्रह भी प्रकाशित हो चुका है।
आपने अंग्रेज़ी और मलयालम की अनेक पुस्तकों का सम्पादन भी किया है।
आपने अनेक अन्तरराष्ट्रीय काव्योत्सवों में भारत का प्रतिनिधित्व किया है तथा अमेरिका, रूस, लातीविया, स्वीडेन, इटली, युगोस्लाविया, जर्मनी और चीन के अलावा भारत के विभिन्न भागों में आलेख और व्याख्यान दिए हैं।
‘केरल साहित्य अकादेमी पुरस्कार’ (तीन बार कविता, आलोचना और नाटक के लिए), ‘उक्कूर पुरस्कार’, ‘पी. कुंजिरामन् नायर पुरस्कार’, ‘भारतीय भाषा परिषद् पुरस्कार’, ‘ओमान कल्चरल सेंटर अवार्ड’ और संस्कृति विभाग (भारत सरकार) की वरिष्ठ विद्वत-वृत्ति सहित आपको अनेक पुरस्कार एवं सम्मान प्राप्त हो चुके हैं।
आप केरल में पच्चीस वर्षों तक अंग्रेज़ी के प्राध्यापक रहे, ‘इंडियन लिटरेचर’ पत्रिका का सम्पादन किया और केन्द्रीय साहित्य अकादेमी के सचिव भी रहे।
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