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Vishwa Sangeet Ka Itihas (HB)
Publisher:
Rajkamal
| Author:
Amal Dash Sharma
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Rajkamal
Author:
Amal Dash Sharma
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹500 ₹350
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9788126719709
Category Hindi
Category: Hindi
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संगीत के इतिहास से हम क्या समझते हैं? केवल घटनाओं का समावेश करना ही इतिहास नहीं कहलाता, बल्कि उन घटनाओं के परस्पर सम्बन्धों का समन्वय करना भी अत्यन्त आवश्यक है; अर्थात् कब, कहाँ और कैसे उन घटनाओं का विकास हुआ, उन सबका यथार्थ वर्णन और कालक्रम की दृष्टि से उपलब्ध सभी तत्त्वों और तथ्यों का प्रामाणिक रूप में समावेश—यह सभी कुछ इतिहासकार का कर्तव्य है। वस्तुतः संगीत का विकास मनुष्य जाति के विकास के साथ जुड़ा हुआ है। इसमें हज़ारों वर्षों का समय लगा है। इसी कालावधि में संगीत का भी विकास हुआ है। इसलिए संगीत कला के इतिहास की व्याख्या के लिए उस समूचे काल को कई भागों में बाँटकर देखना होगा।
इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए लेखक ने विश्व-संगीत के इतिहास को भी—कालक्रम से प्राचीन, मध्य एवं आधुनिक—मुख्य रूप से तीन भागों में विभाजित कर विवेचित किया है तथा विभिन्न संस्कृतियों और शासनकाल के आधार पर उसे उपभागों में बाँटकर देखा है। इस क्रम में लेखक ने भारतीय संगीत को एक जाति की असाधारण मनीषा के इतिहास के रूप में रेखांकित करते हुए विश्व-संगीत के इतिहास में उसके अमूल्य अवदान का मूल्यांकन किया है।
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Description
संगीत के इतिहास से हम क्या समझते हैं? केवल घटनाओं का समावेश करना ही इतिहास नहीं कहलाता, बल्कि उन घटनाओं के परस्पर सम्बन्धों का समन्वय करना भी अत्यन्त आवश्यक है; अर्थात् कब, कहाँ और कैसे उन घटनाओं का विकास हुआ, उन सबका यथार्थ वर्णन और कालक्रम की दृष्टि से उपलब्ध सभी तत्त्वों और तथ्यों का प्रामाणिक रूप में समावेश—यह सभी कुछ इतिहासकार का कर्तव्य है। वस्तुतः संगीत का विकास मनुष्य जाति के विकास के साथ जुड़ा हुआ है। इसमें हज़ारों वर्षों का समय लगा है। इसी कालावधि में संगीत का भी विकास हुआ है। इसलिए संगीत कला के इतिहास की व्याख्या के लिए उस समूचे काल को कई भागों में बाँटकर देखना होगा।
इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए लेखक ने विश्व-संगीत के इतिहास को भी—कालक्रम से प्राचीन, मध्य एवं आधुनिक—मुख्य रूप से तीन भागों में विभाजित कर विवेचित किया है तथा विभिन्न संस्कृतियों और शासनकाल के आधार पर उसे उपभागों में बाँटकर देखा है। इस क्रम में लेखक ने भारतीय संगीत को एक जाति की असाधारण मनीषा के इतिहास के रूप में रेखांकित करते हुए विश्व-संगीत के इतिहास में उसके अमूल्य अवदान का मूल्यांकन किया है।
About Author
अमल दास शर्मा
संगीत के सुपरिचित विद्वान अमल दास शर्मा का जन्म तत्कालीन पूर्वी बंगाल (अब बांग्ला देश) स्थित बरिषाल में सन् 1929 में हुआ।
शिक्षा : दिल्ली विश्वविद्यालय से बी.ए.।
उपाधि : संगीत विद्यापीठ, लखनऊ से संगीत विशारद की तथा विश्वभारती विश्वविद्यालय, कलकत्ता से गीत भारती की उपाधि प्राप्त की।
श्री रमेशचन्द्र बंद्योपाध्याय, डॉ. सुरेश चक्रवर्ती और उस्ताद सागिरुद्दीन ख़ाँ जैसे प्रख्यात संगीतकारों से संगीत की शिक्षा ग्रहण की।
बारह वर्ष तक ‘प्रांतिक’ (रवीन्द्र संगीत संगठन) में संगीत के शिक्षक रहे।
अमल दास शर्मा के गाए हुए बांग्ला गीतों के रिकॉर्ड भी बने हैं।
प्रकाशित कृतियाँ : ‘संगीत मनीषा’, भाग 1-2 (बांग्ला में), ‘भक्ति संगीत’, ‘विश्व संगीत का इतिहास’ (हिन्दी में)।
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