Andha Ullu (HB)

Publisher:
Lokbharti
| Author:
SADEGH HEDAYAT
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Lokbharti
Author:
SADEGH HEDAYAT
Language:
Hindi
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Hardback

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ईरान के ही नहीं, विश्व के सर्वश्रेष्ठ उपन्यासों में गिने जाने वाले उपन्यास ‘अन्धा उल्लू’ का लेखन इसके लेखक ने बम्बई में अपने भारत प्रवास के दौरान किया था।
एक हताश व्यक्ति के भीतरी अँधेरे और उसे चारों तरफ़ से भींचकर रखे रहने वाली दुनिया के प्रति उसका क्षोभ इस उपन्यास के शब्द-शब्द में बिंधा है जिसे सुपरिचित कथाकार नासिरा शर्मा ने बड़े मनोयोग से मूल फ़ारसी से हिन्दी में प्रस्तुत किया है।
अपने असंगत अतियथार्थ में यह उपन्यास जहाँ हमें ख़ुद से दूर की कोई चीज़ लगता है, वहीं अपने उन्हीं विवरणों और प्रतिक्रियाओं में अपने बहुत क़रीब भी लगता है। संवेदनहीन ज्यामितिक आकृतियों से घिरे हमारे आधुनिक मनोजगत का वह स्याह विस्तार इसमें अंकित हुआ है, जहाँ पाँव रखने का साहस हम अक्सर नहीं कर पाते।
अथाह निराशा, भयावह दुःस्वप्नों, घोर अकेलेपन और मृत्युबोध के हौलनाक चित्रण के चलते ईरान में इस उपन्यास पर प्रतिबन्ध भी लगा जिसका एक कारण यह भी बताया जाता है कि इसे पढ़ने के बाद कुछ पाठकों ने अपना जीवन समाप्त करने के प्रयास भी किए। लेकिन इस उपन्यास में अभिव्यक्त सचाई को नकार पाना कभी सम्भव नहीं हुआ और समय के साथ ‘अन्धा उल्लू’ हरेक सजग संवेदनशील व्यक्ति के लिए एक अपरिहार्य पाठ के तौर पर अधिक से अधिक मान्य होता गया।

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Description

ईरान के ही नहीं, विश्व के सर्वश्रेष्ठ उपन्यासों में गिने जाने वाले उपन्यास ‘अन्धा उल्लू’ का लेखन इसके लेखक ने बम्बई में अपने भारत प्रवास के दौरान किया था।
एक हताश व्यक्ति के भीतरी अँधेरे और उसे चारों तरफ़ से भींचकर रखे रहने वाली दुनिया के प्रति उसका क्षोभ इस उपन्यास के शब्द-शब्द में बिंधा है जिसे सुपरिचित कथाकार नासिरा शर्मा ने बड़े मनोयोग से मूल फ़ारसी से हिन्दी में प्रस्तुत किया है।
अपने असंगत अतियथार्थ में यह उपन्यास जहाँ हमें ख़ुद से दूर की कोई चीज़ लगता है, वहीं अपने उन्हीं विवरणों और प्रतिक्रियाओं में अपने बहुत क़रीब भी लगता है। संवेदनहीन ज्यामितिक आकृतियों से घिरे हमारे आधुनिक मनोजगत का वह स्याह विस्तार इसमें अंकित हुआ है, जहाँ पाँव रखने का साहस हम अक्सर नहीं कर पाते।
अथाह निराशा, भयावह दुःस्वप्नों, घोर अकेलेपन और मृत्युबोध के हौलनाक चित्रण के चलते ईरान में इस उपन्यास पर प्रतिबन्ध भी लगा जिसका एक कारण यह भी बताया जाता है कि इसे पढ़ने के बाद कुछ पाठकों ने अपना जीवन समाप्त करने के प्रयास भी किए। लेकिन इस उपन्यास में अभिव्यक्त सचाई को नकार पाना कभी सम्भव नहीं हुआ और समय के साथ ‘अन्धा उल्लू’ हरेक सजग संवेदनशील व्यक्ति के लिए एक अपरिहार्य पाठ के तौर पर अधिक से अधिक मान्य होता गया।

About Author

सादिक़ हिदायत

सादिक़ हिदायत का जन्म 19 फ़रवरी, 1903 को ईरान की राजधानी तेहरान में हुआ। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा फ़्रेंच कैथोलिक स्कूल ‘सेंट लुईस’ में हुई। आगे की  शिक्षा पूरी करने वे यूरोप गए। बेल्जियम में इंजीनियरिंग की पढ़ाई बीच में ही छोड़कर वास्तुविद् की शिक्षा के लिए पेरिस चले गए। पेरिस में चार साल बिताने के बाद वह स्कॉलरशिप छोड़ बिना डिग्री लिए तेहरान लौट आए। कई नौकरियाँ बहुत कम समय के लिए कीं मगर लेखन-कार्य लगातार चलता रहा। हिदायत ने अपने लेखन द्वारा फ़ारसी भाषा और साहित्य को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर मुख्य धारा से जोड़ने का काम किया।

सादिक़ ने कहानियाँ, लघु उपन्यास, रेखाचित्र आदि सभी विधाओं में लिखा। फ़्रेंच और पहलवी भाषा में अनुवाद भी किए। उनकी पुस्तकों के अनुवाद विश्व की कई भाषाओं में हुए हैं और उनकी कृतियों पर फ़िल्में भी बनीं हैं।

उनकी महत्त्वपूर्ण रचनाएँ हैं—हाजी आग़ा’, ‘बुफ़-ए-कूर’ (अन्धा उल्लू), ‘तप्प-ए-मोरवारीद’, ‘ज़िन्दे बे गूर’ (ज़िंदा दफ़न), ‘सगे वलगर्द’(अवारा कुत्ता), ‘सहे क़तरे ख़ून’ (तीन बूँद लहू), (उपन्यास-कहानी); ‘परवीन दुख़्तरे सासियान’, ‘माज़ियार’, ‘अफ़सान-ए-आफ़रीनश’ (नाटक); ‘अफ़साने निस्फ़े ज़हान’ ‘रूये जाददेह नमनाक’ (यात्रा-संस्मरण)।

निधन : 19 अप्रैल, 1951

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