Uttar Pradesh Ka Swatantrata Sangram : Balrampur Hard Cover

Publisher:
Rajkamal
| Author:
PAWAN BAKSHI
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Rajkamal
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PAWAN BAKSHI
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Hindi
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Hardback

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सन् सत्तावन के स्वतंत्रता संग्राम में भागीदारी करनेवाली रानी तुलसीपुर का उल्लेख कहीं-कहीं ऐश्वर्य राजेश्वरी देवी के रूप में भी मिलता है और ईश्वरी कुमारी के रूप में भी। इस पुस्तक में उनके और अन्य स्वतंत्रता-सेनानियों के संघर्ष को रेखांकित किया गया है। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अपने-अपने समय पर महत्त्वपूर्ण भूमिका निभानेवाले ऐसे अनेक सेनानी हैं जिनके बारे में आज बहुत ज्यादा जानकारी नहीं है। रानी तुलसीपुर भी उनमें से एक हैं। उनके बारे में अभी तक इतना ही ज्ञात था कि विद्रोह के दौरान वे बेगम हजरत महल के साथ नेपाल चली गई थीं। यह पुस्तक उनकी पूरी वीरगाथा को सामने लाती है जिसके लिए लेखक ने लिखित इतिहास के अलावा सैकड़ों गाँवों में घूम-घूमकर बुजुर्गों से कहानियाँ भी सुनीं और फिर वास्तविक तथ्यों के आधार पर यह पुस्तक लिखी।
रानी तुलसीपुर के साथ-साथ इसमें स्वतंत्रता आंदोलन में बलरामपुर जिले की भूमिका भी स्पष्ट होती है।

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Description

सन् सत्तावन के स्वतंत्रता संग्राम में भागीदारी करनेवाली रानी तुलसीपुर का उल्लेख कहीं-कहीं ऐश्वर्य राजेश्वरी देवी के रूप में भी मिलता है और ईश्वरी कुमारी के रूप में भी। इस पुस्तक में उनके और अन्य स्वतंत्रता-सेनानियों के संघर्ष को रेखांकित किया गया है। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अपने-अपने समय पर महत्त्वपूर्ण भूमिका निभानेवाले ऐसे अनेक सेनानी हैं जिनके बारे में आज बहुत ज्यादा जानकारी नहीं है। रानी तुलसीपुर भी उनमें से एक हैं। उनके बारे में अभी तक इतना ही ज्ञात था कि विद्रोह के दौरान वे बेगम हजरत महल के साथ नेपाल चली गई थीं। यह पुस्तक उनकी पूरी वीरगाथा को सामने लाती है जिसके लिए लेखक ने लिखित इतिहास के अलावा सैकड़ों गाँवों में घूम-घूमकर बुजुर्गों से कहानियाँ भी सुनीं और फिर वास्तविक तथ्यों के आधार पर यह पुस्तक लिखी।
रानी तुलसीपुर के साथ-साथ इसमें स्वतंत्रता आंदोलन में बलरामपुर जिले की भूमिका भी स्पष्ट होती है।

About Author

जन्म स्थान : तुलसीपुर, जिला बलरामपुर, जन्म : 23 दिसम्बर, 1956, पिता : स्व. मदन गोपाल बख्शी, माता : स्व. कुशल बख्शी प्रकाशित और डिजिटल पुस्तकें : शैली अपनी-अपनी; सार संकलन बलरामपुर; तपोभूमि (देवी पाटन मंडल दर्शन); अवध के तालुकदार (हिंदी); अवध के तालुकदार (अंग्रेजी) अमित सिंह IAS. के साथ; सत्तावनी क्रान्ति का अंतिम युद्ध; मोहयाल छिब्बर (अंग्रेजी) खालिद बिन अफजल और नरेन्द्र छिब्बर के साथ; पूर्वांचल का मसीहा : जीवनी वीर बहादुर सिंह; हिमाचल गिरिपार का हाटी समुदाय; अंतस की यात्रा; बलरामपुर राज और पटोहा कोट–अमिताभ सिंह के साथ; बडगूजर, सिकरवार, मडाढ़ क्षत्रिय; लघु शरीरे महान आत्मा–जीवनी हरी राम शास्त्री; अवध : अतीत और वर्तमान; अर्घ्य : जीवनी बैज नाथ तिवारी; चलें बेकल के गाँव : जीवनी बेकल उत्साही; मिलावट : मिलावटी खाद्य पदार्थ; लोक देवता : शिरगुल; राजपूत तालुकदार्स ऑफ़ अवध (अंग्रेजी) अमित सिंह IAS. के साथ; मुस्लिम तालुकदार्स ऑफ़ अवध (अंग्रेजी) अमित सिंह IAS. के साथ; अकेलेपन से एकान्त की ओर सम्राट दशरथ के मंत्री : सुमंत्र; जहँ-जहँ चरण पड़े श्रीकृष्ण के; जहँ-जहँ चरण पड़े शिव शंकर के; नीरज बख्शी की बतकहियाँ–लक्ष्मी नारायण अवस्थी के साथ; थेरी गाथा (पंजाबी); सृष्टि और मानव में अंक 7 का महत्त्व; मैं हूँ सिरमौर : हिमाचल के सिरमौर जिले का समग्र; स्मृतियों के दर्पण से : अवध (यात्रा संस्मरण), बलरामपुर के स्वतंत्रता सेनानी; श्रावस्ती के स्वतंत्रता सेनानी। सम्मान एवं पुरस्कार : उ.प्र. हिंदी संस्थान द्वारा चालीस हजार रुपए नगद ईश्वरी प्रसाद सर्जना पुरस्कार, राजकीय संग्रहालय झाँसी द्वारा सम्मानित, हिमौत्कर्ष संस्था पौंटा साहब, द्वारा ‘हिमाचलश्री’, शंखनाद मीडिया नाहन द्वारा ‘शंखनाद मीडिया विशिष्ट सम्मान 2022’ से सम्मानित एवं पुरस्कृत। शीघ्र प्रकाशित होने वाली पुस्तकें : सिरमौर के धार्मिक एवं ऐतिहासिक स्थल, सत्तावनी क्रान्ति के अमर नायक : राजा बलभद्र सिंह, कैकेयी बिन श्रीराम का अस्तित्व, श्रीराम पुत्र सम्राट लव के वंशज, श्रीराम और निषाद, गिरिपार के ठुंडू चौहान, द ग्रेट खली : दिलीप सिंह राणा, विकास पुरुष : राजा वीरभद्र सिंह, डार्विन का सिद्धांत और हमारे पुराण, अवध के प्राचीन ग्राम, अवध : जैसा मैंने देखा–Colour Pictorial Book तथा जहँ-जहँ चरण पड़े गुरु नानक के Colour Pictorial Book. विमोचन : ‘तालुकदार्स आफ अवध’ पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे. कलाम जी के कर कमलों द्वारा; ‘हिमाचल गिरिपार का हाटी समुदाय’ पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल जी के कर कमलों द्वारा; ‘पूर्वांचल का मसीहा’ मुख्यमंत्री माननीय आदित्यनाथ योगी जी के कर कमलों द्वारा।

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