Madhyakalin Bharat Me Rajniti (PB)

Publisher:
Lokbharti
| Author:
HERAMB CHATURVEDI
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Lokbharti
Author:
HERAMB CHATURVEDI
Language:
Hindi
Format:
Hardback

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इस पुस्तक को लिखने की आवश्यकता इसलिए महसूस हुई क्योंकि इतिहास और राजनीति शास्त्र के विद्यार्थी मात्र इतिहासक्रम के अध्ययन से ही संतुष्ट नहीं होते अपितु वे ऐतिहासिक प्रक्रिया के विश्लेषण को भी महत्व प्रदान करते हैं और यही विषय को समझने की उनकी दृष्टि को भी विकसित करती है। इसी प्रकार के अध्ययन से समाज की शक्तियों और राज्य की शक्तियों की परस्परता और अंतरक्रियाएं समझ आती हैं।इस कृति में इस्लाम के अंतर्गत राज्य की अवधारणा की पृष्ठभूमि में मध्यकालीन भारत में राज्य की प्रकृति का विश्लेषण; दोनों विशेषाधिकार प्राप्त वर्गों, यथा उलेमा (धर्माधिकारियों) तथा उमरा (अमीरों) की संरचना, विशेषताओं और समकालीन राज्य में उनकी भूमिका की व्याख्या की गई है अर्थात ऐतिहासिक घटनाक्रम के कारणों की पड़ताल पर विशेष जोर दिया गया है।

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इस पुस्तक को लिखने की आवश्यकता इसलिए महसूस हुई क्योंकि इतिहास और राजनीति शास्त्र के विद्यार्थी मात्र इतिहासक्रम के अध्ययन से ही संतुष्ट नहीं होते अपितु वे ऐतिहासिक प्रक्रिया के विश्लेषण को भी महत्व प्रदान करते हैं और यही विषय को समझने की उनकी दृष्टि को भी विकसित करती है। इसी प्रकार के अध्ययन से समाज की शक्तियों और राज्य की शक्तियों की परस्परता और अंतरक्रियाएं समझ आती हैं।इस कृति में इस्लाम के अंतर्गत राज्य की अवधारणा की पृष्ठभूमि में मध्यकालीन भारत में राज्य की प्रकृति का विश्लेषण; दोनों विशेषाधिकार प्राप्त वर्गों, यथा उलेमा (धर्माधिकारियों) तथा उमरा (अमीरों) की संरचना, विशेषताओं और समकालीन राज्य में उनकी भूमिका की व्याख्या की गई है अर्थात ऐतिहासिक घटनाक्रम के कारणों की पड़ताल पर विशेष जोर दिया गया है।

About Author

हेरम्ब चतुर्वेदी

जन्म : दिसम्बर 31, 1955; इन्‍दौर, म.प्र.। निवासी—होलीपुरा, आगरा।

अध्यापन : 14 जनवरी, 1980 से इलाहाबाद विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग में अध्यापन।

कृतित्व : ‘सल्तनतकालीन प्रमुख इतिहासकार’, ‘अभिव्यक्ति’, ‘फ़्रांस का इतिहास’, ‘मध्यकालीन इतिहास के स्रोत’ (वर्ष 2003 में ‘उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान’ के ‘आचार्य नरेन्द्रदेव पुरस्कार’ से सम्‍मानित), ‘मध्यकालीन भारत में राज्य एवं राजनीति’ (वर्ष 2005 में ‘उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान’ के ‘आचार्य नरेन्द्रदेव पुररकार’ से सम्‍मानित), ‘द इलाहाबाद स्कूल ऑफ़ हिस्ट्री’, ‘चतुर्वेदीज़ ऑफ़ इंडिया : द मथुरा क्लान’, ‘लाला सीताराम ‘भूप’’ (इतिहास); ‘दो सुल्तान, दो बादशाह’, ‘दास्तान मुग़ल महिलाओं की’ (‘बी.बी.सी.’, लन्दन द्वारा 2013 की सर्वश्रेष्ठ हिन्दी पुस्तकों की सूची में शामिल), ‘दास्तान मुग़ल बादशाहों की’ (ऐतिहासिक कहानियों का संकलन); ‘मुग़ल शहज़ादा खुसरू’ (ऐतिहासिक उपन्यास); ‘हिन्दी के बहाने’, ‘एक दौर यह भी’ (काव्य-संकलन)। शोध-पत्रिकाओं में लगभग 75 शोध-पत्र प्रकाशित। ‘कादम्बिनी’, ‘साहित्य अमृत’, ‘संडे ऑब्‍जर्बर’, ‘दिनमान टाइम्स’, ‘नया ज्ञानोदय’, ‘मनोरमा’ में लेख आदि प्रकाशित। रेडियो, दूरदर्शन के नियमित वार्ताकार।

सम्प्रति : इलाहाबाद विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग में 2001 से प्रोफ़ेसर एवं पूर्व अध्यक्ष।

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