Mahim Mein Qatla Hard Cover

Publisher:
Rajkamal
| Author:
Jerry Pinto, Tr. Prabhat Ranjan
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Rajkamal
Author:
Jerry Pinto, Tr. Prabhat Ranjan
Language:
Hindi
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Hardback

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मातुंगा रोड रेलवे स्टेशन के टॉयलेट में एक नौजवान की लाश मिलती है। उसका पेट पूरी तरह फटा हुआ है। रिटायर्ड पत्रकार पीटर फ़र्नांडीज़ अपने दोस्त इंस्पेक्टर जेंडे के साथ इस हत्या की जाँच में शामिल हो जाता है, और उसके सामने एक ऐसी दुनिया खुलती है जिसमें गुप्त कामनाएँ हैं, लालच है और निराशा है—एक ऐसी दुनिया जिसके बारे में उसको शक है कि उसका बेटा भी शामिल है। यह कहानी जितनी भय और समानुभूति के सहारे आगे बढ़ती है उतना ही उन मर्दों को जानने की इच्छा से जो दूसरे पुरुषों को चाहते हैं। पीटर हत्यारे तक पहुँचने की कोशिश करता है, रंगीनमिज़ाज लेस्ली सिकेरा के साथ, जो इस वैकल्पिक संसार में उसके लिए गाइड का काम करता है।यह मुम्बई के अपराध-जगत की यात्रा है—रहस्यमय, बीमार, एक ऐसी दुनिया जिसमें अँधेरे का राज है, जिसमें पुरुष पुरुष की कामना करते हैं, पैसों का लेन-देन होता है, वादे किए और तोड़े जाते हैं, जहाँ प्यार निराशा और चाहत की ज़ेब में होता है…पिंटो के उपन्यास में सब कुछ है। इसमें मुम्बई का यथार्थ है…पढ़कर देखिए।—राजदीप बैंस द ट्रिब्यूनजेरी पिंटो को पढ़ने का एक सुख यह देखना भी होता है कि वह किस बारीकी से अपने किरदारों को बरतते हैं। मुम्बई, जो मोहती भी है और डराती भी है, इस उपन्यास में जीवंत हो उठी है। ‘माहिम में ​क़त्ल’ अपराध और सज़ा की कहानी है। लेकिन उससे आगे यह कहानी क्रोध और अफ़सोस की भी है। यह पारिवारिक रिश्तों की कहानी भी है, दोस्ती और समानुभूति की कहानी भी है, उन सद्गुणों की जो उस मध्यवर्ग से धीरे-धीरे ग़ायब होते जा रहे हैं, जिसे डिकोड करने में पिंटो को महारत हासिल है।—पारोमिता चक्रबर्ती द इंडियन एक्सप्रेसएक नृशंस हत्या होती है और धीरे-धीरे वेश्यावृत्ति, समलैंगिकता, धन-उगाही और पुलिस-भ्रष्टाचार की कहानी खुलने लगती है…जैसे-जैसे पिंटो के इस उपन्यास की कहानी कोलाबा, बांद्रा और माहिम की गलियों से आगे बढ़ती जाती है अपराध, ग़रीबी और मृत्यु की अवसादग्रस्त आवाज़ और गंध आने लगती है, आप अपने आपको उस राक्षसी किरदार से जोड़ने लगते हैं—उस शहर से जिसके इस रूप को इस कहानी में दिखाया गया है।—मिड डे

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मातुंगा रोड रेलवे स्टेशन के टॉयलेट में एक नौजवान की लाश मिलती है। उसका पेट पूरी तरह फटा हुआ है। रिटायर्ड पत्रकार पीटर फ़र्नांडीज़ अपने दोस्त इंस्पेक्टर जेंडे के साथ इस हत्या की जाँच में शामिल हो जाता है, और उसके सामने एक ऐसी दुनिया खुलती है जिसमें गुप्त कामनाएँ हैं, लालच है और निराशा है—एक ऐसी दुनिया जिसके बारे में उसको शक है कि उसका बेटा भी शामिल है। यह कहानी जितनी भय और समानुभूति के सहारे आगे बढ़ती है उतना ही उन मर्दों को जानने की इच्छा से जो दूसरे पुरुषों को चाहते हैं। पीटर हत्यारे तक पहुँचने की कोशिश करता है, रंगीनमिज़ाज लेस्ली सिकेरा के साथ, जो इस वैकल्पिक संसार में उसके लिए गाइड का काम करता है।यह मुम्बई के अपराध-जगत की यात्रा है—रहस्यमय, बीमार, एक ऐसी दुनिया जिसमें अँधेरे का राज है, जिसमें पुरुष पुरुष की कामना करते हैं, पैसों का लेन-देन होता है, वादे किए और तोड़े जाते हैं, जहाँ प्यार निराशा और चाहत की ज़ेब में होता है…पिंटो के उपन्यास में सब कुछ है। इसमें मुम्बई का यथार्थ है…पढ़कर देखिए।—राजदीप बैंस द ट्रिब्यूनजेरी पिंटो को पढ़ने का एक सुख यह देखना भी होता है कि वह किस बारीकी से अपने किरदारों को बरतते हैं। मुम्बई, जो मोहती भी है और डराती भी है, इस उपन्यास में जीवंत हो उठी है। ‘माहिम में ​क़त्ल’ अपराध और सज़ा की कहानी है। लेकिन उससे आगे यह कहानी क्रोध और अफ़सोस की भी है। यह पारिवारिक रिश्तों की कहानी भी है, दोस्ती और समानुभूति की कहानी भी है, उन सद्गुणों की जो उस मध्यवर्ग से धीरे-धीरे ग़ायब होते जा रहे हैं, जिसे डिकोड करने में पिंटो को महारत हासिल है।—पारोमिता चक्रबर्ती द इंडियन एक्सप्रेसएक नृशंस हत्या होती है और धीरे-धीरे वेश्यावृत्ति, समलैंगिकता, धन-उगाही और पुलिस-भ्रष्टाचार की कहानी खुलने लगती है…जैसे-जैसे पिंटो के इस उपन्यास की कहानी कोलाबा, बांद्रा और माहिम की गलियों से आगे बढ़ती जाती है अपराध, ग़रीबी और मृत्यु की अवसादग्रस्त आवाज़ और गंध आने लगती है, आप अपने आपको उस राक्षसी किरदार से जोड़ने लगते हैं—उस शहर से जिसके इस रूप को इस कहानी में दिखाया गया है।—मिड डे

About Author

जेरी पिंटो

लेखक-अनुवादक जेरी पिंटो का जन्म सन् 1966 में हुआ। माहिम मुम्बई में पले-बढ़े जेरी ने एलिफिंस्टन कॉलेज, मुम्बई विश्वविद्यालय से लिबरल आर्ट्स की पढ़ाई की और गवर्नमेंट लॉ कॉलेज, मुम्बई से लॉ की उपाधि प्राप्त की। मुम्बई के सोफ़ि‍या इंस्टीट्यूट ऑफ़ सोशल कम्यूनिकेशंस मीडिया में पत्रकारिता पढ़ाते हैं। साथ ही बच्चों के अधिकारों के लिए कार्य कर रही संस्था ‘मेलजोल’ के बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर में भी शामिल हैं।

उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं—‘द एजुकेशन ऑफ़ यूरी’, ‘मर्डर इन माहिम’, ‘एम एंड द बिग हूम’, ‘हेलेन : द लाइफ़ एंड टाइम्स ऑफ़ एन एच-बॉम्ब’, ‘मॉनस्टर गार्डेन’, ‘असाइलम एंड अदर पोएम्स’, ‘सर्वाविंग वूमन’, ‘द ग्रेटेस्ट शो ऑन अर्थ : राइटिंग्स ऑफ़ बॉलीवुड’। उन्होंने मराठी से अंग्रेज़ी में कई कृतियों के अनुवाद भी किए हैं जिनमें प्रमुख हैं—‘बालूता’, (दया पवार), ‘व्हेन आई हिड माई कास्ट’ (बाबूराव बाघुल), ‘आई वांट टू डिस्ट्रॉय माइसेल्फ’ (मलिका अमर शेख), ‘आई, द सॉल्ट डॉल’ (वंदना मिश्र) और ‘कोबाल्ट ब्लू’ (सचिन कुर्दालकर)।

उन्हें ‘द हिन्दु पुरस्कार’, ‘क्रॉसवर्ड बुक सम्मान’, ‘विन्डहैम कैम्पबेल पुरस्कार’ और ‘साहित्य अकादेमी पुरस्कार’ से सम्मानित किया जा चुका है। उनकी पुस्तक ‘हेलेन’ को ‘राष्ट्रीय पुरस्कार’ (सिनेमा की सर्वश्रेष्ठ पुस्तक) से सम्मानित किया गया।

ई-मेल : pintojerry@yahoo.com

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