Bedava : Ek Prem Katha-(HB)

Publisher:
Rajkamal
| Author:
Tarun Bhatnagar
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Rajkamal
Author:
Tarun Bhatnagar
Language:
Hindi
Format:
Hardback

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रोचक अन्दाज़ में लिखा गया उपन्यास ‘बेदावा’ आँखों से न देख पानेवालों, ट्रांसजेंडरों और दग़ाबाज़ों की अनदेखी दुनिया के इश्क़ का फ़साना है। हमारे दौर की मज़हबी नफ़रतों और दुश्वारियों से भिड़ते उन लोगों की कहानी है जो हार नहीं मानते। यह किताबों और रौशनियों की कहानी है। इश्क़ का ऐसा क़िस्सा है जो आदमी और औरत के इश्‍क़ से अलहदा इंसानियत के फ़लसफ़े को गढ़ता है। इसमें अत्याधुनिक कॉलेज के कैम्पस हैं तो जंगलों की अनजान दुनिया। स्पेन का कोई आधुनिक क़स्बा है तो हमारे यहाँ की भीड़ और शोर-शराबे से भरा कोई गली-मुहल्ला। यह प्यार को खोने और पा जाने के दरमियान की बेचैनियों, ख्‍़वाबों और उम्मीदों का एक शानदार वाक़या है।

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Description

रोचक अन्दाज़ में लिखा गया उपन्यास ‘बेदावा’ आँखों से न देख पानेवालों, ट्रांसजेंडरों और दग़ाबाज़ों की अनदेखी दुनिया के इश्क़ का फ़साना है। हमारे दौर की मज़हबी नफ़रतों और दुश्वारियों से भिड़ते उन लोगों की कहानी है जो हार नहीं मानते। यह किताबों और रौशनियों की कहानी है। इश्क़ का ऐसा क़िस्सा है जो आदमी और औरत के इश्‍क़ से अलहदा इंसानियत के फ़लसफ़े को गढ़ता है। इसमें अत्याधुनिक कॉलेज के कैम्पस हैं तो जंगलों की अनजान दुनिया। स्पेन का कोई आधुनिक क़स्बा है तो हमारे यहाँ की भीड़ और शोर-शराबे से भरा कोई गली-मुहल्ला। यह प्यार को खोने और पा जाने के दरमियान की बेचैनियों, ख्‍़वाबों और उम्मीदों का एक शानदार वाक़या है।

About Author

तरुण भटनागर

तरुण भटनागर का जन्म 24 सितम्बर को रायपुर, छत्तीसगढ़ में हुआ। अब तक तीन कहानी-संग्रह प्रकाशित हैं : 'गुलमेंहदी की झाडि़याँ', 'भूगोल के दरवाज़े पर' तथा 'जंगल में दर्पण'। पहला उपन्यास 'लौटती नहीं जो हँसी' वर्ष 2014 में प्रकाशित। दूसरा उपन्यास 'राजा, जंगल और काला चाँद' वर्ष 2019 में प्रकाशित। 'बेदावा' तीसरा उपन्यास है। कुछ रचनाएँ मराठी, उड़िया, अँगरेज़ी और तेलगू में अनूदित हो चुकी हैं। कई कहानियों व कविताओं का हिन्दी से अँगरेज़ी में अनुवाद।

कहानी-संग्रह 'गुलमेंहदी की झाड़ियाँ' को युवा रचनाशीलता का 'वागीश्वरी पुरस्कार' 2009;  कहानी 'मैंगोलाइट' जो बाद में कुछ संशोधन के साथ 'भूगोल के दरवाज़े पर' शीर्षक से आई थी, ‘शैलेश मटियानी कथा पुरस्कार’ से पुरस्कृत; उपन्यास 'लौटती नहीं जो हँसी' को 2014 का ‘स्पंदन कृति सम्मान’; ‘वनमाली युवा कथा सम्मान’ 2019; मध्य भारतीय हिन्दी साहित्य सभा का ‘हिन्दी सेवा सम्मान’ 2015 आदि।

वर्तमान में भारतीय प्रशासनिक सेवा में कार्यरत।

 

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