Reti Ke Phool -(HB) 316

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Rinala Khurd-(PB) 149

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Rinala Khurd-(HB)

Publisher:
Rajkamal
| Author:
Ishmadhu Talwar
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Rajkamal
Author:
Ishmadhu Talwar
Language:
Hindi
Format:
Hardback

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‘रिनाला खुर्द’ लेखक ईशमधु तलवार का एक ऐसा उपन्यास है जिसमें भारत विभाजन का दर्द है, जिसमें सरहद के इस पार की हूक सुनाई देती है तो उस पार की सिसकियाँ। लेखक ने लुप्त नदी सरस्वती की तलाश के माध्यम से स्मृतियों का एक ऐसा कोलाज रचा है जो बार-बार भारत विभाजन की निस्सारता की तरफ़ ध्यान दिलाता है।
इसमें ‘चाईजी’ की कहानियाँ हैं जिनमें विभाजन से पहले का दर्द है तो मेवात के बगड़ गाँव की नर्गिस के दिल का टभकता दु:ख है जो शादी के बाद पाकिस्तान चली गई। वहाँ वह सलमा के नाम से एक प्रसिद्ध लोक गायिका बन गई लेकिन न अपने बचपन के गाँव को भूल पाई न ही अपने प्रेमी मधु को जिससे बरसों बाद पाकिस्तान में उसकी मुलाक़ात होती है। दोनों अपने खोये प्यार को याद करते हैं, भविष्य में एक साथ रहने के सपने देखते हैं लेकिन बीच में सरहद आ जाती है। जहाँ अपने-अपने दु:खों को समेटकर वे जुदा हो जाते हैं।
उपन्यास में सूखी नदी के स्रोत की तलाश के माध्यम से प्रेम के उस विलुप्त होते स्रोत की तलाश की कोशिश भी बड़ी शिद्दत से दिखाई देती है जिसके ऊपर नफ़रत की दीवार खींच दी गई। उपन्यास में क़िस्सों के भी अनेक स्रोत हैं जो अन्‍त तक पढ़नेवाले का ध्यान नहीं हटने देते।    
—प्रभात रंजन

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Description

‘रिनाला खुर्द’ लेखक ईशमधु तलवार का एक ऐसा उपन्यास है जिसमें भारत विभाजन का दर्द है, जिसमें सरहद के इस पार की हूक सुनाई देती है तो उस पार की सिसकियाँ। लेखक ने लुप्त नदी सरस्वती की तलाश के माध्यम से स्मृतियों का एक ऐसा कोलाज रचा है जो बार-बार भारत विभाजन की निस्सारता की तरफ़ ध्यान दिलाता है।
इसमें ‘चाईजी’ की कहानियाँ हैं जिनमें विभाजन से पहले का दर्द है तो मेवात के बगड़ गाँव की नर्गिस के दिल का टभकता दु:ख है जो शादी के बाद पाकिस्तान चली गई। वहाँ वह सलमा के नाम से एक प्रसिद्ध लोक गायिका बन गई लेकिन न अपने बचपन के गाँव को भूल पाई न ही अपने प्रेमी मधु को जिससे बरसों बाद पाकिस्तान में उसकी मुलाक़ात होती है। दोनों अपने खोये प्यार को याद करते हैं, भविष्य में एक साथ रहने के सपने देखते हैं लेकिन बीच में सरहद आ जाती है। जहाँ अपने-अपने दु:खों को समेटकर वे जुदा हो जाते हैं।
उपन्यास में सूखी नदी के स्रोत की तलाश के माध्यम से प्रेम के उस विलुप्त होते स्रोत की तलाश की कोशिश भी बड़ी शिद्दत से दिखाई देती है जिसके ऊपर नफ़रत की दीवार खींच दी गई। उपन्यास में क़िस्सों के भी अनेक स्रोत हैं जो अन्‍त तक पढ़नेवाले का ध्यान नहीं हटने देते।    
—प्रभात रंजन

About Author

ईशमधु तलवार

ईशमधु तलवार पत्रकार, कथाकार, नाटककार और व्यंग्यकार के रूप में सुपरिचित नाम हैं। इनकी बॉलीवुड के प्रसिद्ध संगीतकार दान सिंह के जीवन-संघर्ष पर लिखी पुस्तक ‘वो तेरे प्यार का गम’ राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित होकर चर्चा में रही है। एक व्यंग्य-संकलन ‘इशारों-इशारों में’ छप चुका है। इनके लिखे दो नाटकों—

‘लयकारी’ और ‘फेल का फंडा’ के अनेक मंचन हुए हैं।

ईश्मधु तलवार ‘राजस्‍थान साहित्य अकादेमी’ की ओर से साहित्यिक एवं रचनात्मक पत्रकारिता के लिए 2013 में पुरस्कृत हो चुके हैं।

अनेक प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन। ग़ज़ल सम्राट मेहदी हसन पर उनके पैतृक गाँव लूणा को लेकर एक बड़ा आलेख पाकिस्तान के मशहूर ‘जंग समूह’ के अंग्रेज़ी अख़बार ‘द न्यूज़’ में छपा, चर्चित हुआ।

आकाशवाणी और दूरदर्शन पर कहानियों, वार्ताओं का प्रसारण और समसामयिक विषयों पर धारावाहिकों का निर्माण। जयपुर दूरदर्शन के लिए साम्भर झील पर बनाए गए वृत्तचित्र ‘चाँदी का समन्दर’ को पर्यावरण श्रेणी में ‘प्रसार भारती’ का राष्ट्रीय स्तर पर पहला पुरस्कार मिला।

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