Panchamrit-(HB)

Publisher:
Rajkamal
| Author:
Ashwinikumar Dubey
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Rajkamal
Author:
Ashwinikumar Dubey
Language:
Hindi
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Hardback

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‘पंचामृत’ में मैंने संगीत मार्तण्ड रजब अली ख़ाँ, उस्ताद अमीर ख़ाँ, पण्डित कुमार गन्धर्व, श्री कृष्णराव मजुमदार एवं आचार्य गोकुलोत्सव महाराज के व्यक्तित्व और कृतित्व पर चर्चा की है। इन हस्तियों का क़द कितना बड़ा है, यह हमारी नई पीढ़ी को अच्छी तरह समझना चाहिए। दरअसल, शास्त्रीय संगीत एक अमूर्त कला है, जिसका आनन्द लेने के लिए आपको शास्त्रीय संगीत के व्याकरण को जानने की ज़रूरत नहीं है। धीरे-धीरे, सुनते-सुनते अपने आप समझ विकसित होने लगती है और आनन्द आने लगता है।
‘पंचामृत’ पढ़कर आप एक बार ज़रूर इन पंच विभूतियों को सुनना और उनके बारे में पढ़ना चाहेंगे। शास्त्रीय संगीत की साधना बहुत कठिन है। यह अत्यन्त श्रम और समय साध्य है। बाबा कहा करते थे—शास्त्रीय संगीत सीखने के लिए एक उम्र बहुत कम है। जबकि स्वयं वे 108 वर्षों तक जिए। ‘पंचामृत’ में सम्मिलित सभी विभूतियों ने अपने समय को भली-भाँति पहचाना और उसके एक-एक पल का उपयोग किया, तब जाकर वे इतने महान संगीतकार हो सके। सचमुच, उनको सुनना एक नए अनुभव से गुज़रना है।
—प्राक्कथन से

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Description

‘पंचामृत’ में मैंने संगीत मार्तण्ड रजब अली ख़ाँ, उस्ताद अमीर ख़ाँ, पण्डित कुमार गन्धर्व, श्री कृष्णराव मजुमदार एवं आचार्य गोकुलोत्सव महाराज के व्यक्तित्व और कृतित्व पर चर्चा की है। इन हस्तियों का क़द कितना बड़ा है, यह हमारी नई पीढ़ी को अच्छी तरह समझना चाहिए। दरअसल, शास्त्रीय संगीत एक अमूर्त कला है, जिसका आनन्द लेने के लिए आपको शास्त्रीय संगीत के व्याकरण को जानने की ज़रूरत नहीं है। धीरे-धीरे, सुनते-सुनते अपने आप समझ विकसित होने लगती है और आनन्द आने लगता है।
‘पंचामृत’ पढ़कर आप एक बार ज़रूर इन पंच विभूतियों को सुनना और उनके बारे में पढ़ना चाहेंगे। शास्त्रीय संगीत की साधना बहुत कठिन है। यह अत्यन्त श्रम और समय साध्य है। बाबा कहा करते थे—शास्त्रीय संगीत सीखने के लिए एक उम्र बहुत कम है। जबकि स्वयं वे 108 वर्षों तक जिए। ‘पंचामृत’ में सम्मिलित सभी विभूतियों ने अपने समय को भली-भाँति पहचाना और उसके एक-एक पल का उपयोग किया, तब जाकर वे इतने महान संगीतकार हो सके। सचमुच, उनको सुनना एक नए अनुभव से गुज़रना है।
—प्राक्कथन से

About Author

अश्विनीकुमार दुबे

जन्म : 24 जुलाई, 1956; पन्ना (मध्य प्रदेश)।

इंजीनियरिंग सेवा से सेवानिवृत्त।

कृतियाँ : ‘घूँघट के पट खोल’, ‘शहर बन्द है’, ‘अटैची संस्कृति’, ‘अपने-अपने लोकतंत्र’, ‘फ्रेम से बड़ी तस्वीर’, ‘कदम्ब का पेड़’ (चयनित व्यंग्य रचनाएँ); ‘चुनी हुई व्यंग्य रचनाएँ’ (व्यंग्य-संग्रह); ‘शेष अन्त में’, ‘जाने-अनजाने दु:ख’, ‘स्वप्नदर्शी’ (उपन्यास); ‘एक और प्रेमकथा’ (कहानी-संग्रह )।

1970 से विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में कहानियाँ, उपन्यास, व्यंग्य, निबन्ध, नाटक, पटकथा, रेडियो रूपक, डायरी, रिपोर्ताज़, संस्मरण आदि प्रकाशित।

सम्पादन : 'अमृत दर्पण’ त्रैमासिक।

पुरस्कार : ‘भारतेन्दु पुरस्कार’, ‘अम्बिकाप्रसाद दिव्य पुरस्कार’, ‘स्पेनिन सम्मान’।

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