SalePaperback
Early Buddhism and the Bhagavadgita
₹995 ₹597
Save: 40%
Arrow of the Blue-Skinned God: Retracing the Ramayana Through India
₹1,199 ₹839
Save: 30%
Nehru Files: Nehru Ki 127 Aitihasik Galtiyan (Hindi Translation of Nehru’s 127 Major Blunders)
Publisher:
Prabhat Prakashan Pvt. Ltd.
| Author:
Rajnikant Puranik
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Prabhat Prakashan Pvt. Ltd.
Author:
Rajnikant Puranik
Language:
Hindi
Format:
Paperback
₹750 ₹563
Save: 25%
In stock
Ships within:
1-4 Days
In stock
Book Type |
---|
ISBN:
SKU
9789390372133
Categories History, Politics/Government
Categories: History, Politics/Government
Page Extent:
520
चीन की सरकार के लिए भारत पर आक्रमण करने जैसी बात सोचना भी पूरी तरह से अव्यावहारिक है। इस कारण, मैं इसे खारिज करता हूँ””जवाहरलाल नेहरू (एएस/103)
किसी ने ठीक ही कहा है : नेहरू अनभिज्ञता के नवाब थे।
अगर नेहरू ने तमाम किस्म की बड़ी गलतियाँ नहीं की होतीं; और यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि उन्होंने बेहिसाब गलतियाँ कीं, नहीं तो भारत तेजी से तरक्की की राह पर होता और उनके कार्यकाल के अंत तक एक प्रभावशाली, समृद्ध, विकसित देश होता। और निश्चित रूप से ऐसा 1980 के दशक की शुरुआत में ही हो गया होता, बशर्तें, नेहरू के बाद उनका वंश सत्ता में नहीं आया होता। दुर्भाग्य से, नेहरू युग ने ही भारत में गरीबी और दरिद्रता की नींव रखी, जिसने हमेशा के लिए इसे एक विकासशील, तीसरे दर्जे का, पिछड़ा देश बनाकर रख दिया। इन मूर्खतापूर्ण भूलों का ब्योरा रखकर, यह पुस्तक दिखावे के पीछे का सच दिखाती है।
इस पुस्तक में नेहरू की मूर्खतापूर्ण भूलों का प्रयोग ‘एक सामान्य शब्द के रूप में विफलताओं, लापरवाहियों, गलत नीतियों, खराब फैसलों, निंदनीय या अशोभनीय कृत्यों, अनर्जित पदों को हड़पने आदि के लिए भी किया गया है। इस पुस्तक का उद्देश्य नेहरू की आलोचना करना नहीं है, बल्कि उन ऐतिहासिक तथ्यों की जानकारी को, जिन्हें अकसर तोड़ा-मरोड़ा गया या छिपाया गया या दबा दिया गया, व्यापक करना है, ताकि वही गलतियाँ दोबारा न हों, और भारत का भविष्य उज्ज्वल बन सके ।
हो सकता है कोई कहे : नेहरू पर हायतौबा मचाने की जरूरत क्या है ? उन्हें गए तो बरसों हो गए । बरसों हो गए शारीरिक रूप से, किंतु दुर्भाग्य से उनकी अधिकतर सोच और नीतियाँ अब भी जीवित हैं । यह समझना जरूरी है कि उन्होंने गलत रास्ते को चुना । पर देश को उन विचारों से मुक्त होकर आगे बढ़ना पड़ेगा, जिनमें से अधिकांश अब भी जारी हैं ।
यह पुस्तक वर्तमान समय के लिए भी अत्यधिक प्रासंगिक है।
Be the first to review “Nehru Files: Nehru Ki 127 Aitihasik Galtiyan (Hindi Translation of Nehru’s 127 Major Blunders)” Cancel reply
Description
चीन की सरकार के लिए भारत पर आक्रमण करने जैसी बात सोचना भी पूरी तरह से अव्यावहारिक है। इस कारण, मैं इसे खारिज करता हूँ””जवाहरलाल नेहरू (एएस/103)
किसी ने ठीक ही कहा है : नेहरू अनभिज्ञता के नवाब थे।
अगर नेहरू ने तमाम किस्म की बड़ी गलतियाँ नहीं की होतीं; और यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि उन्होंने बेहिसाब गलतियाँ कीं, नहीं तो भारत तेजी से तरक्की की राह पर होता और उनके कार्यकाल के अंत तक एक प्रभावशाली, समृद्ध, विकसित देश होता। और निश्चित रूप से ऐसा 1980 के दशक की शुरुआत में ही हो गया होता, बशर्तें, नेहरू के बाद उनका वंश सत्ता में नहीं आया होता। दुर्भाग्य से, नेहरू युग ने ही भारत में गरीबी और दरिद्रता की नींव रखी, जिसने हमेशा के लिए इसे एक विकासशील, तीसरे दर्जे का, पिछड़ा देश बनाकर रख दिया। इन मूर्खतापूर्ण भूलों का ब्योरा रखकर, यह पुस्तक दिखावे के पीछे का सच दिखाती है।
इस पुस्तक में नेहरू की मूर्खतापूर्ण भूलों का प्रयोग ‘एक सामान्य शब्द के रूप में विफलताओं, लापरवाहियों, गलत नीतियों, खराब फैसलों, निंदनीय या अशोभनीय कृत्यों, अनर्जित पदों को हड़पने आदि के लिए भी किया गया है। इस पुस्तक का उद्देश्य नेहरू की आलोचना करना नहीं है, बल्कि उन ऐतिहासिक तथ्यों की जानकारी को, जिन्हें अकसर तोड़ा-मरोड़ा गया या छिपाया गया या दबा दिया गया, व्यापक करना है, ताकि वही गलतियाँ दोबारा न हों, और भारत का भविष्य उज्ज्वल बन सके ।
हो सकता है कोई कहे : नेहरू पर हायतौबा मचाने की जरूरत क्या है ? उन्हें गए तो बरसों हो गए । बरसों हो गए शारीरिक रूप से, किंतु दुर्भाग्य से उनकी अधिकतर सोच और नीतियाँ अब भी जीवित हैं । यह समझना जरूरी है कि उन्होंने गलत रास्ते को चुना । पर देश को उन विचारों से मुक्त होकर आगे बढ़ना पड़ेगा, जिनमें से अधिकांश अब भी जारी हैं ।
यह पुस्तक वर्तमान समय के लिए भी अत्यधिक प्रासंगिक है।
About Author
रजनीकांत पुराणिक—रजनीकांत पुराणिक आईआईटियन थे, जिन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), खड़गपुर और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी ), कानपुर में पढ़ाई की थी। वह भौतिक विज्ञानी, बैंकर, सॉफ्टवेयर इंजीनियर और सॉफ्टवेयर कंसल्टेंट रह चुके थे। उन्होंने तीन संगठनों के सूचना प्रौद्योगिकी विभाग का नेतृत्व किया। उनके नेतृत्व में अनेक सॉफ्टवेयर उत्पाद तैयार किए गए। उन्होंने तकनीक संबंधी (सॉफ्टवेयर) पर दो पुस्तकें, एक उपन्यास और वास्तविक घटनाओं पर आधारित कई रचनाएँ लिखीं। सॉफ्टवेयर पर पुस्तकों के साथ ही अकाल्पनिक विषयों पर उनकी कई कृतियों का प्रकाशन हो चुका है। स्मृतिशेष : 30 जुलाई, 2021
Reviews
There are no reviews yet.
Be the first to review “Nehru Files: Nehru Ki 127 Aitihasik Galtiyan (Hindi Translation of Nehru’s 127 Major Blunders)” Cancel reply
[wt-related-products product_id="test001"]
Related products
HERITAGE OF RAJASTHAN: Monuments and Archaeological Sites
Save: 15%
DIALOGUE OF CIVILIZATIONS: William Jones and the Orientalists
Save: 15%
NARRATIVE OF THE INDIAN REVOLT: From its Outbreak to the Capture of Lucknow
Save: 15%
EIGHTEEN FIFTY SEVEN : Revolt and Contemporary Visuals
Save: 15%
RELATED PRODUCTS
BEYOND POTS AND PANS: A Study on Chalcolithic Balathal
Save: 15%
Burhanpur: Unexplored History, Monuments And Society
Save: 15%
EIGHTEEN FIFTY SEVEN : Revolt and Contemporary Visuals
Save: 15%
Harappan Studies: Recent Researches In South Asian Archaeology (Vol. Ii)
Save: 15%
HERITAGE OF RAJASTHAN: Monuments and Archaeological Sites
Save: 15%
HINDU AND BUDDHIST MONUMENTS AND REMAINS IN SOUTHEAST ASIA
Save: 15%
RAJASTHAN : Prehistoric and Early Historic Foundations
Save: 15%
SILPA IN INDIAN TRADITION: Concept and Instrumentalities
Save: 15%
The Sacred Landscape Of Mundeshwari: The ‘Oldest Living’ Temple
Save: 15%
THE ARCHAEOLOGY OF MIDDLE GANGA PLAIN: Excavations at Agiabir
Save: 15%
THE INDUS CIVILIZATION: An Interdisciplinary Perspective
Save: 15%
Reviews
There are no reviews yet.