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Rajasthan ki prem kathein
Publisher:
RG
| Author:
Rani Laxmi Kumari Chundawat
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
RG
Author:
Rani Laxmi Kumari Chundawat
Language:
Hindi
Format:
Hardback
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Book Type |
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ISBN:
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9788186103807
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
168
राजस्थान की प्रेम कथाएॅंँ रानी लंक्ष्मीकुमारी चूंडावत “रांणी लक्ष्मीकुमारी जी चूण्डावत राजसथंानी साहितय री सेवा वासते रांणी चूण्डावत जी रा दूहा- करी तने किरतार, तारण भाषा प्रांत री । रांणी लिखमी लार, जीवण राजसंथान रौ ।। माता रौ पावै मिनकख, पोखण भाषा प्रांण । मीठौ पायौ मात सूं, हुवै जेण री हांण ।। जीवण राजसंथान, भाषा राजसंािान री । धारै तारण ध्यांन, सिरे वंश सीसोदण ी।। स्वांस्थ छूटां सेव, वणै सफळ इण भांत री । दीनो अवसर देव, चूंडावत चूके मती ।। रांणी लिखमी रीह, कीरत सह भारत करै । थूं वारी थारीह, चूंडावत चूके मती ।। वहती समय विचार, कर हीमत सेवा करै । रहै सुजस ज्यों लार, सुण लीजे सीसोदणी ।। रांणी लिखमी रंग, राखेे राजसंथान रौ । जीवण भाषा जंग, समर करौ सीसोदणी ।। ऊमर वीती जाय, नर देही रैवे नही । जस अेको रह जाय, सेवा पथ सीसोदणी ।।
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Description
राजस्थान की प्रेम कथाएॅंँ रानी लंक्ष्मीकुमारी चूंडावत “रांणी लक्ष्मीकुमारी जी चूण्डावत राजसथंानी साहितय री सेवा वासते रांणी चूण्डावत जी रा दूहा- करी तने किरतार, तारण भाषा प्रांत री । रांणी लिखमी लार, जीवण राजसंथान रौ ।। माता रौ पावै मिनकख, पोखण भाषा प्रांण । मीठौ पायौ मात सूं, हुवै जेण री हांण ।। जीवण राजसंथान, भाषा राजसंािान री । धारै तारण ध्यांन, सिरे वंश सीसोदण ी।। स्वांस्थ छूटां सेव, वणै सफळ इण भांत री । दीनो अवसर देव, चूंडावत चूके मती ।। रांणी लिखमी रीह, कीरत सह भारत करै । थूं वारी थारीह, चूंडावत चूके मती ।। वहती समय विचार, कर हीमत सेवा करै । रहै सुजस ज्यों लार, सुण लीजे सीसोदणी ।। रांणी लिखमी रंग, राखेे राजसंथान रौ । जीवण भाषा जंग, समर करौ सीसोदणी ।। ऊमर वीती जाय, नर देही रैवे नही । जस अेको रह जाय, सेवा पथ सीसोदणी ।।
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