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Bhartiya Gyan Ka khjana
Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Prashant Pole
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Prabhat Prakashan
Author:
Prashant Pole
Language:
Hindi
Format:
Paperback
₹250 ₹175
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In stock
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1-4 Days
In stock
Weight | 250 g |
---|---|
Book Type |
ISBN:
SKU
9789390378159
Categories Hindi, Uncategorized
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Page Extent:
192
दविंची कोड और एंजल्स एंड डेमन्स जैसे विश्वप्रसिद्ध उपन्यास लिखनेवाले डेन ब्राउन का एक उपन्यास है—द लॉस्ट सिंबल। इसमें उपन्यास का नायक अपने विद्वान् और वयोवृद्ध प्राध्यापक से प्रश्न पूछता है- मानव जाति ज्ञान हासिल करने के पीछे लगी है।यह ज्ञान प्राप्त करने का आवेग प्रचंड है। यह प्रवास हमें कहाँ लेकर जाएगा? अगले पचास-सौ वर्षों में हम कहाँ होंगे? और कौन सा ज्ञान हम प्राप्त करेंगे? वे प्राध्यापक, उपन्यास के नायक को उत्तर देते हैं। यह ज्ञान का प्रवास, जो आगे जाता दिख रहा है, वह वास्तव में आगे नहीं जा रहा है। यह तो अपने पूर्वजों द्वारा खोजे हुए समृद्ध ज्ञान को ढूँढ़ने का प्रयास है। अपने पास प्राचीन ज्ञान का इतना जबरदस्त भंडार है कि आगे जाते हुए हमें वही ज्ञान प्राप्त होनेवाला है। वे प्राध्यापक इस संदर्भ में भारतीय ज्ञान परंपरा का उल्लेख करते हैं। और फिर पीछे मुड़कर जब हम देखते हैं, तो ज्ञान की जो बची-खुची शलाकाएँ दिखती हैं, उन्हें देखकर मन अचंभित सा हो जाता है। इतना समृद्ध ज्ञान हमारे पूर्वजों के पास था!| उसी अद्भुत और रहस्यमयी ज्ञान के कपाट खोलने का छोटा सा प्रयास है यह पुस्तक ‘भारतीय ज्ञान का खजाना’।
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khjana” Cancel reply
Description
दविंची कोड और एंजल्स एंड डेमन्स जैसे विश्वप्रसिद्ध उपन्यास लिखनेवाले डेन ब्राउन का एक उपन्यास है—द लॉस्ट सिंबल। इसमें उपन्यास का नायक अपने विद्वान् और वयोवृद्ध प्राध्यापक से प्रश्न पूछता है- मानव जाति ज्ञान हासिल करने के पीछे लगी है।यह ज्ञान प्राप्त करने का आवेग प्रचंड है। यह प्रवास हमें कहाँ लेकर जाएगा? अगले पचास-सौ वर्षों में हम कहाँ होंगे? और कौन सा ज्ञान हम प्राप्त करेंगे? वे प्राध्यापक, उपन्यास के नायक को उत्तर देते हैं। यह ज्ञान का प्रवास, जो आगे जाता दिख रहा है, वह वास्तव में आगे नहीं जा रहा है। यह तो अपने पूर्वजों द्वारा खोजे हुए समृद्ध ज्ञान को ढूँढ़ने का प्रयास है। अपने पास प्राचीन ज्ञान का इतना जबरदस्त भंडार है कि आगे जाते हुए हमें वही ज्ञान प्राप्त होनेवाला है। वे प्राध्यापक इस संदर्भ में भारतीय ज्ञान परंपरा का उल्लेख करते हैं। और फिर पीछे मुड़कर जब हम देखते हैं, तो ज्ञान की जो बची-खुची शलाकाएँ दिखती हैं, उन्हें देखकर मन अचंभित सा हो जाता है। इतना समृद्ध ज्ञान हमारे पूर्वजों के पास था!| उसी अद्भुत और रहस्यमयी ज्ञान के कपाट खोलने का छोटा सा प्रयास है यह पुस्तक ‘भारतीय ज्ञान का खजाना’।
About Author
BE Hons. (Electronic and Telecom) MA (मराठी) ‘दिशा कंसलटेंट्स’ और भारती वेब (प्रा.) लिमिटेड, नागपुर में निदेशक। लगभग 34 वर्षों का व्यावसायिक कार्य का अनुभव। 35 से अधिक देशों का प्रवास। मेल्ट्रोन (Meltron—Maharashtra Electronics Development Corporation) में संशोधन विभाग प्रमुख थे। अनेक नए उत्पाद विकसित किए। बालासोर के मिसाइल्स फायरिंग इंटरिम टेस्ट रेंज के लिए विशेष उपकरण विकसित किया। (सन् 1990)। 1998-99 में महाराष्ट्र सरकार के आई.टी. टास्क फोर्स के सदस्य थे। 1999 में ‘World Who’s Who’ में चयन। अनेक मल्टी-नेशनल टेलिकॉम और आई.टी. कंपनियों के सलाहकार। केंद्रीय सड़क परिवहन और जहाजरानी मंत्रालय में आई.टी. टास्क फोर्स के सदस्य। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय के महाविद्वत परिषद् के सदस्य। IIIT, जबलपुर की गवर्निंग काउंसिल के सदस्य। मुंबई विश्वविद्यालय के काउंसिल में आई.टी. सलाहकार। लोकमत, तरुण भारत, विवेक, एकता, पाञ्चजन्य, ऑर्गेनाइजर आदि पत्रिकाओं में स्तंभ लेखन। ‘वे पंद्रह दिन’ पुस्तक हिंदी, मराठी और गुजराती में प्रकाशित। ‘महाकोशल विश्व संवाद केंद्र’ के कार्याध्यक्ष।
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