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Jungle Laboratory: Swasth Jeewan Ke Liye Paramparagat Gyan ki Potli: Swasth Jeewan Ke Liye Paramparagat Herbal Gyan ki Potli
Publisher:
Hind Pocket Books
| Author:
Dr. Deepak Acharya
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Hind Pocket Books
Author:
Dr. Deepak Acharya
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹499 ₹424
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Weight | 410 g |
---|---|
Book Type |
ISBN:
SKU
9780670096367
Categories Hindi, Uncategorized
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Page Extent:
256
आधुनिक औषधि विज्ञान यानी मॉडर्न मेडिकल साइंस प्रयोगों पर आधारित ज्ञान (एक्सपेरिमेंट्स) पर भरोसा करता है जबकि भारतवर्ष के सुदूर जंगलों में रहने वाले आदिवासियों और ग्रामीणजनों द्वारा अपनाए जाने वाला सदियों पुराना पारंपरिक हर्बल ज्ञान बुजुर्गों के अनुभवों (एक्सपेरिएन्सेस) को आधार मानता है। हिंदुस्तान के सुदूर आदिवासी अंचलों से एकत्र किए गए ज्ञान को समेटकर एक किताब के रूप में प्रस्तुत करने का उद्देश्य यही है कि आदिवासियों के पारंपरिक हर्बल ज्ञान को एक “शॉर्ट-कट टूल” की तरह आज़माया जाए तो समय और रुपयों की बचत तो की जा सकेगी, बल्कि आम जनों तक सस्ती सुलभ दवाएँ भी आसानी से उपलब्ध हो जाएँगी। पिछले दो दशकों में माइक्रोबायोलॉजी और इथनोबॉटनी जैसे विषयों का गहनता से अध्ययन और बतौर वैज्ञानिक कार्य करते हुए लेखक ने आदिवासियों के हर्बल ज्ञान को बेहद करीब से जाँचा-परखा है और इस ज्ञान की पैठ दुनियाभर के सामने लाने के लिए डटे हुए हैं। उम्मीद है कि जंगल लेबोरेटरी स्वास्थ्य और बेहतर जीवन से जुड़े जानकारों और इस विषय में रुचि रखने वाले तमाम पाठकों के लिए एक मील का पत्थर साबित होगी।
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Swasth Jeewan Ke Liye Paramparagat Gyan ki Potli: Swasth Jeewan Ke Liye
Paramparagat Herbal Gyan ki Potli” Cancel reply
Description
आधुनिक औषधि विज्ञान यानी मॉडर्न मेडिकल साइंस प्रयोगों पर आधारित ज्ञान (एक्सपेरिमेंट्स) पर भरोसा करता है जबकि भारतवर्ष के सुदूर जंगलों में रहने वाले आदिवासियों और ग्रामीणजनों द्वारा अपनाए जाने वाला सदियों पुराना पारंपरिक हर्बल ज्ञान बुजुर्गों के अनुभवों (एक्सपेरिएन्सेस) को आधार मानता है। हिंदुस्तान के सुदूर आदिवासी अंचलों से एकत्र किए गए ज्ञान को समेटकर एक किताब के रूप में प्रस्तुत करने का उद्देश्य यही है कि आदिवासियों के पारंपरिक हर्बल ज्ञान को एक “शॉर्ट-कट टूल” की तरह आज़माया जाए तो समय और रुपयों की बचत तो की जा सकेगी, बल्कि आम जनों तक सस्ती सुलभ दवाएँ भी आसानी से उपलब्ध हो जाएँगी। पिछले दो दशकों में माइक्रोबायोलॉजी और इथनोबॉटनी जैसे विषयों का गहनता से अध्ययन और बतौर वैज्ञानिक कार्य करते हुए लेखक ने आदिवासियों के हर्बल ज्ञान को बेहद करीब से जाँचा-परखा है और इस ज्ञान की पैठ दुनियाभर के सामने लाने के लिए डटे हुए हैं। उम्मीद है कि जंगल लेबोरेटरी स्वास्थ्य और बेहतर जीवन से जुड़े जानकारों और इस विषय में रुचि रखने वाले तमाम पाठकों के लिए एक मील का पत्थर साबित होगी।
About Author
अहमदाबाद वासी, पेशे से साइंटिस्ट, माइक्रोबायोलॉजी में पीएच डी और इथनोबॉटनी विषय में पोस्ट डॉक्टरेट डॉ दीपक आचार्य पिछले 25 सालों से हिंदुस्तान के सुदूर आदिवासी क्षेत्र जैसे मध्यप्रदेश के पातालकोट, गुजरात के डाँग और राजस्थान के अरावली इलाकों में रहने वाले आदिवासियों के पारंपरिक हर्बल ज्ञान, रहन-सहन और खान-पान के तौर-तरीकों को डॉक्यूमेंट कर रहे हैं। बतौर वैज्ञानिक उन्होंने आदिवासियों और ग्रामीण विरासत के ज्ञान को आधुनिक विज्ञान की कसौटी पर परखते हुए आम जनों तक पहुँचाया है। उन्होंने अब तक कई किताबें, रिसर्च आर्टिकल्स और पॉपुलर लेख लिखे हैं। डॉ आचार्य के इस मिशन को अमेरिकन दैनिक द वॉल स्ट्रीट जर्नल के मुखपृष्ठ पर प्रकाशित किया जा चुका है। डॉ आचार्य अनेक अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं के एडिटोरियल बोर्ड मेम्बर और कई विश्वविद्यालयों में बोर्ड ऑफ़ स्टडीज़ मेम्बर भी हैं।
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