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KRANTIKARI KOSH (VOL 2) 350

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NISHABD NOOPUR 

Publisher:
RajKamal
| Author:
Rumi and Balram Shukla
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
RajKamal
Author:
Rumi and Balram Shukla
Language:
Hindi
Format:
Paperback

209

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3-5 days

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Book Type

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SKU 9789390971626 Categories ,
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Page Extent:
453

रूमी ईरान के सर्वाधिक प्रसिद्ध कवि हैं। उनकी ग़ज़लें ऊर्जस्वी काव्य के दुर्लभ उदाहरणों में से हैं। रूमी की ग़ज़लें सामान्य कविताओं की तुलना में अलग हैं। इनकी प्रत्येक ग़ज़ल का हर शे’र आत्म-अनुभूति की परिपूर्णता से उच्छलित है। इनकी कविता केवल काव्यात्मक चमत्कारों को प्रदर्शित कर पाठकों को लुब्ध करने में पर्यवसित नहीं होती, बल्कि दिल से निकलकर मस्तिष्क और हृदय को भिगोती हुई आत्मा तक का स्पर्श कर लेती है। प्रस्तुत पुस्तक उनकी चुनिन्दा 100 ग़ज़लों का अनुवाद है। इस पुस्तक के माध्यम से रूमी पहली बार सीधे फ़ारसी से हिन्दी में अनूदित हुए हैं। इसमें सबसे पहले फ़ारसी ग़ज़लों का देवनागरी में लिप्यन्तरण प्रस्तुत किया गया है, फिर साथ में ही उनका हिन्दी अनुवाद दिया गया है। अन्त में मूल ग़ज़लें फ़ारसी लिपि में भी रखी गई हैं। पुस्तक के अन्त में दिए गए अनेक परिशिष्टों के माध्यम से फ़ारसी काव्य-भाषा को समझने के महत्त्वपूर्ण उपकरण जुटाए गए हैं। ग़ज़लों में प्रयुक्त सभी छन्दों को ईरानी तथा भारतीय काव्यशास्त्रीय रीति से समझाया गया है। क्लासिकल फ़ारसी कविता के सम्यक् परिचय के लिए आवश्यक संक्षिप्त फ़ारसी व्याकरण जोड़ा गया है। अन्त में प्रत्येक शब्द का अर्थ भी दिया गया है। इस प्रकार मूल से जुड़े रसपूर्ण अनुवाद की प्रस्तुति के साथ ही यह पुस्तक रूमी-रीडर के तौर पर भी उपयोग में आने योग्य है।

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Description

रूमी ईरान के सर्वाधिक प्रसिद्ध कवि हैं। उनकी ग़ज़लें ऊर्जस्वी काव्य के दुर्लभ उदाहरणों में से हैं। रूमी की ग़ज़लें सामान्य कविताओं की तुलना में अलग हैं। इनकी प्रत्येक ग़ज़ल का हर शे’र आत्म-अनुभूति की परिपूर्णता से उच्छलित है। इनकी कविता केवल काव्यात्मक चमत्कारों को प्रदर्शित कर पाठकों को लुब्ध करने में पर्यवसित नहीं होती, बल्कि दिल से निकलकर मस्तिष्क और हृदय को भिगोती हुई आत्मा तक का स्पर्श कर लेती है। प्रस्तुत पुस्तक उनकी चुनिन्दा 100 ग़ज़लों का अनुवाद है। इस पुस्तक के माध्यम से रूमी पहली बार सीधे फ़ारसी से हिन्दी में अनूदित हुए हैं। इसमें सबसे पहले फ़ारसी ग़ज़लों का देवनागरी में लिप्यन्तरण प्रस्तुत किया गया है, फिर साथ में ही उनका हिन्दी अनुवाद दिया गया है। अन्त में मूल ग़ज़लें फ़ारसी लिपि में भी रखी गई हैं। पुस्तक के अन्त में दिए गए अनेक परिशिष्टों के माध्यम से फ़ारसी काव्य-भाषा को समझने के महत्त्वपूर्ण उपकरण जुटाए गए हैं। ग़ज़लों में प्रयुक्त सभी छन्दों को ईरानी तथा भारतीय काव्यशास्त्रीय रीति से समझाया गया है। क्लासिकल फ़ारसी कविता के सम्यक् परिचय के लिए आवश्यक संक्षिप्त फ़ारसी व्याकरण जोड़ा गया है। अन्त में प्रत्येक शब्द का अर्थ भी दिया गया है। इस प्रकार मूल से जुड़े रसपूर्ण अनुवाद की प्रस्तुति के साथ ही यह पुस्तक रूमी-रीडर के तौर पर भी उपयोग में आने योग्य है।

About Author

डॉ. बलराम शुक्ल का जन्म 19 जनवरी, सन् 1982 ईस्वी में गोरखपुर के सोहरौना राजा नामक गाँव में हुआ। $िफलहाल वह दिल्ली विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग में प्राध्यापक हैं। इनका स्नातक पर्यन्त अध्ययन गोरखपुर विश्वविद्यालय से तथा स्नातकोत्तर एवं शोध दिल्ली विश्वविद्यालय से सम्पन्न हुआ। इनका शोधकार्य व्याकरण दर्शन तथा भाषा विज्ञान से सम्बन्धित है। संस्कृत के अतिरिक्त इन्होंने फ़ारसी में भी स्नातकोत्तर की उपाधि ली है तथा अरबी भाषा के उच्चतर प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम को भी उत्तीर्ण किया है।डॉ. शुक्ल संस्कृत तथा फ़ारसी दोनों भाषाओं के कवि हैं। 'परीवाह:’, 'लघुसन्देशम्’ तथा 'कवितापुत्रिकाजाति:’ शीर्षकों से इनके 3 संस्कृत कविता संग्रह प्रकाशित हैं। भाषा विज्ञान तथा संस्कृत साहित्य सम्बन्धी अन्य विषयों पर इनकी 4 और पुस्तकें भी प्रकाशित हैं। संस्कृत तथा फ़ारसी साहित्य का पारस्परिक अनुवाद इनकी अकादमिक गतिविधियों में से एक है।डॉ. शुक्ल भारत के राष्ट्रपति द्वारा 2013 में 'बादरायण व्यास सम्मान’ से सम्मानित किए जा चुके हैं। इसके अतिरिक्त इन्हें उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान द्वारा 'कालिदास सम्मान’ तथा मन्दाकिनी-विद्वत्-परिषद् द्वारा 'विद्यासागर’ की उपाधि से भी सम्मानित किया गया| --This text refers to the hardcover edition.

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