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Jeep Par Sawar Elliyan
Publisher:
RajKamal
| Author:
Sharad Joshi
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
RajKamal
Author:
Sharad Joshi
Language:
Hindi
Format:
Paperback
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Weight | 170 g |
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Book Type |
ISBN:
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9788171783946
Categories Hindi, PIRecommends, Uncategorized
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Page Extent:
159
प्रख्यात अंग्रेजी कवि और समालोचक मैथ्यू आर्नाल्ड ने कविता को जीवन की आलोचना कहा है, लेकिन आज सम्भवत: व्यंग्य ही साहित्य की एकमात्र विधा है जो जीवन से सीधा साक्षात्कार करती है।
व्यंग्यकार सतत जागरूक रहकर अपने परिवेश पर, जीवन और समाज की हर छोटी-से-छोटी घटना पर तटस्थ भाव से दृष्टिपात करता है और उसके आभ्यंतरिक स्वरूप का निर्मम अनावरण करता है। इसीलिए व्यंग्यकार का धर्म अन्य विधाओं में लिखनेवालों की अपेक्षा कठिन माना गया है, क्योंकि अपनी रचना- प्रक्रिया में उसे वाह्य विषयों के प्रति ही नहीं, स्वयं अपने प्रति भी निर्मम होना पड़ता है।
हिन्दी के सुपरिचित व्यंग्यकार शरद जोशी का यह संग्रह इस धर्म का पूरी मुस्तैदी के साथ निर्वाह करता है। धर्म, राजनीति, सामाजिक जीवन, व्यक्तिगत आचरण-कुछ भी यहाँ लेखक की पैनी नजर से बच नहीं पाया है और उनकी विसंगतियों का ऐसा मार्मिक उद्घाटन हुआ है कि पढ़नेवाला चकित होकर सोचने लगता है—अच्छा, इस मामूली-सी दिखनेवाली बात की असलियत यह है! वास्तव में प्रस्तुत निबन्ध-संग्रह की एक-एक रचना शरद जोशी की व्यंग्य-दृष्टि का सबलतम प्रमाण है।
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Elliyan” Cancel reply
Description
प्रख्यात अंग्रेजी कवि और समालोचक मैथ्यू आर्नाल्ड ने कविता को जीवन की आलोचना कहा है, लेकिन आज सम्भवत: व्यंग्य ही साहित्य की एकमात्र विधा है जो जीवन से सीधा साक्षात्कार करती है।
व्यंग्यकार सतत जागरूक रहकर अपने परिवेश पर, जीवन और समाज की हर छोटी-से-छोटी घटना पर तटस्थ भाव से दृष्टिपात करता है और उसके आभ्यंतरिक स्वरूप का निर्मम अनावरण करता है। इसीलिए व्यंग्यकार का धर्म अन्य विधाओं में लिखनेवालों की अपेक्षा कठिन माना गया है, क्योंकि अपनी रचना- प्रक्रिया में उसे वाह्य विषयों के प्रति ही नहीं, स्वयं अपने प्रति भी निर्मम होना पड़ता है।
हिन्दी के सुपरिचित व्यंग्यकार शरद जोशी का यह संग्रह इस धर्म का पूरी मुस्तैदी के साथ निर्वाह करता है। धर्म, राजनीति, सामाजिक जीवन, व्यक्तिगत आचरण-कुछ भी यहाँ लेखक की पैनी नजर से बच नहीं पाया है और उनकी विसंगतियों का ऐसा मार्मिक उद्घाटन हुआ है कि पढ़नेवाला चकित होकर सोचने लगता है—अच्छा, इस मामूली-सी दिखनेवाली बात की असलियत यह है! वास्तव में प्रस्तुत निबन्ध-संग्रह की एक-एक रचना शरद जोशी की व्यंग्य-दृष्टि का सबलतम प्रमाण है।
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