Surya Ka Swagat

Publisher:
Vani prakashan
| Author:
Dushyant Kumar
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
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Vani prakashan
Author:
Dushyant Kumar
Language:
Hindi
Format:
Paperback

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…इधर तुम्हारी खूब खूब कविताएँ निकली हैं, जैसे एक सैलाब आ गया हो! कितने ही बारीक और सूक्ष्म अनुभव-बिम्बों को तुमने नयी-नयी तरह से आँका है। तुम्हारा एक नया रंग है…और छोटे-छोटे खण्डों में जीवन को बाँधने की उनमें अकुलाहट है।…प्रगति और प्रयोग के लिए मैं जिन श्रेष्ठ तत्त्वों का समन्वय तुम्हारी कविताओं में पाता हूँ, उससे नयी कविता के भविष्य में मेरी आस्था और भी दृढ़ हो जाती है। जियो! श्री गिरिजाकुमार माथुर

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…इधर तुम्हारी खूब खूब कविताएँ निकली हैं, जैसे एक सैलाब आ गया हो! कितने ही बारीक और सूक्ष्म अनुभव-बिम्बों को तुमने नयी-नयी तरह से आँका है। तुम्हारा एक नया रंग है…और छोटे-छोटे खण्डों में जीवन को बाँधने की उनमें अकुलाहट है।…प्रगति और प्रयोग के लिए मैं जिन श्रेष्ठ तत्त्वों का समन्वय तुम्हारी कविताओं में पाता हूँ, उससे नयी कविता के भविष्य में मेरी आस्था और भी दृढ़ हो जाती है। जियो! श्री गिरिजाकुमार माथुर

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