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Ramvilas Paswan: Sankalp, Sahas Aur Sang
Publisher:
HIND POCKET BOOKS PRINTS
| Author:
SRIVASTAV, PRADEEP
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
HIND POCKET BOOKS PRINTS
Author:
SRIVASTAV, PRADEEP
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹899 ₹674
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5-7 Days
In stock
Book Type |
---|
ISBN:
Categories: General Fiction, Hindi
Page Extent:
309
यह पुस्तक देश के प्रमुख राष्ट्रीय दलित नेता और वर्तमान में उपभोक्ता मामले खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की जीवनी है जो राजनीति में पाँच दशकों से भी ज़्यादा समय से सक्रिय हैं। यह जीवनी बताती है कि कैसे बिहार के खगड़िया जिले के तीन तरफ नदियों से घिरे एक छोटे से गाँव शहरबन्नी से उन्होंने अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की और विधायक, सांसद और केंद्रीय मंत्री तक की जिम्मेवारी बखूबी निभाई। पासवान को एक ऐसा नेता माना जाता है जिन्हें हर धर्म और समुदाय के लोगों का प्यार व समर्थन हासिल हुआ और वे देश में विकास पुरुष के तौर पर जाने गए। मंडल आयोग की सिफ़ारिशों को लागू के में पासवान की अहम भूमिका रही। उनके रेलमंत्रित्व काल में बिहार में कई परियोजनाएं शुरू हुईं और जिस भी मंत्रालय में वे रहे, उनकी br>चिंताओं के केंद्र में हमेशा गरीब-गुरबा और हाशिए पर रहनेवाले लोग ही रहे। रामविलास पासवान की यह जीवनी दलित सशक्तिकरण के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का एक जीवंत दस्तावेज़ है।.
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Sankalp, Sahas Aur Sang” Cancel reply
Description
यह पुस्तक देश के प्रमुख राष्ट्रीय दलित नेता और वर्तमान में उपभोक्ता मामले खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की जीवनी है जो राजनीति में पाँच दशकों से भी ज़्यादा समय से सक्रिय हैं। यह जीवनी बताती है कि कैसे बिहार के खगड़िया जिले के तीन तरफ नदियों से घिरे एक छोटे से गाँव शहरबन्नी से उन्होंने अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की और विधायक, सांसद और केंद्रीय मंत्री तक की जिम्मेवारी बखूबी निभाई। पासवान को एक ऐसा नेता माना जाता है जिन्हें हर धर्म और समुदाय के लोगों का प्यार व समर्थन हासिल हुआ और वे देश में विकास पुरुष के तौर पर जाने गए। मंडल आयोग की सिफ़ारिशों को लागू के में पासवान की अहम भूमिका रही। उनके रेलमंत्रित्व काल में बिहार में कई परियोजनाएं शुरू हुईं और जिस भी मंत्रालय में वे रहे, उनकी br>चिंताओं के केंद्र में हमेशा गरीब-गुरबा और हाशिए पर रहनेवाले लोग ही रहे। रामविलास पासवान की यह जीवनी दलित सशक्तिकरण के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का एक जीवंत दस्तावेज़ है।.
About Author
प्रदीप श्रीवास्तव वरिष्ठ पत्रकार हैं जिन्होंने करीब तीन दशक तक देश की मुख्यधारा की राजनीतिक रिपोर्टिंग की है। वे दो दशक से ज़्यादा समय तक जनसत्ता (इंडियन एक्सप्रेस समूह) से जुड़े रहे और फिर कोलकाता से प्रकाशित सन्मार्ग दैनिक में उन्होंने एसोसिएट एडिटर के पद पर पाँच सालों तक काम किया। वे मूलत: उत्तर प्रदेश के बलिया जिला के रहनेवाले हैं और देश की राजनीति पर गहरी पकड़ रखते हैं। उनकी शिक्षा-दीक्षा मगध विश्वविद्यालय बोधगया और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में हुई है। संप्रति वे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में अपने परिवार के साथ रहते हैं और पत्रकारिता के साथ लेखन के काम में लगे हुए हैं।.
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