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Kyunki Jeena Isi Ka Naam Hai
Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
N. Raghuraman
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Prabhat Prakashan
Author:
N. Raghuraman
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹300 ₹225
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In stock
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1-4 Days
In stock
Book Type |
---|
ISBN:
SKU
9789351867272
Categories Children, Hindi
Tags #P' Self-help, personal development and practical advice
Page Extent:
216
मुंबई में एयरपोर्ट के पास भीख माँगने की इजाजत नहीं है। यदि कोई इस नियम को तोड़ता है, उसे पुलिस के डंडे की मार झेलनी पड़ती है। क्या हम ऐसे घुमक्कड़ लोगों की पहचान करके, उनकी क्षमताओं के अनुरूप प्रशिक्षण देकर उन्हें गली-गली में कला-प्रदर्शक के रूप में तैयार नहीं कर सकते? दुनिया भर के विरासत विशेषज्ञ तथा टाउन प्लानर इन बेघर लोगों को गलियों में वाद्ययंत्र बजाने या कला-प्रदर्शन करने में प्रशिक्षण दे चुके हैं। अमेरिका में यात्री और पर्यटक अकसर ऐसे कलाकारों को पहचान सकते हैं। सब-वे, स्टेशन तथा सैदूल-पार्क जैसे गार्डन में ऐसे प्रदर्शन किए जा सकते हैं। एक प्राचीन चीनी कहावत है—‘बच्चे नकलची होते हैं, इसलिए उन्हें नकल करने के लिए कुछ भी विषय दिया जा सकता है।’ भारत के आई.टी. हब बेंगलुरु में भी केस स्टडी किए जा सकते हैं तथा यहाँ भी गलियों में कला-प्रदर्शन किए जा सकते हैं। जो बच्चे भीख माँगते हैं, वे आसानी से यह रोजगार अपना सकते हैं। इससे उनका आत्म-सम्मान बढ़ेगा। पूरे बेंगलुरु में नहीं तो कम-से-कम लालबाग व कब्बन पार्क में यह प्रयोग किया जा सकता है। मोटिवेशन गुरु एन. रघुरामन की समाज को एक अनूठी दृष्टि से देखने की क्षमता का परिणाम है यह पुस्तक, जो जीवन को रूपांतरित करने का संदेश देती है|
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Naam Hai” Cancel reply
Description
मुंबई में एयरपोर्ट के पास भीख माँगने की इजाजत नहीं है। यदि कोई इस नियम को तोड़ता है, उसे पुलिस के डंडे की मार झेलनी पड़ती है। क्या हम ऐसे घुमक्कड़ लोगों की पहचान करके, उनकी क्षमताओं के अनुरूप प्रशिक्षण देकर उन्हें गली-गली में कला-प्रदर्शक के रूप में तैयार नहीं कर सकते? दुनिया भर के विरासत विशेषज्ञ तथा टाउन प्लानर इन बेघर लोगों को गलियों में वाद्ययंत्र बजाने या कला-प्रदर्शन करने में प्रशिक्षण दे चुके हैं। अमेरिका में यात्री और पर्यटक अकसर ऐसे कलाकारों को पहचान सकते हैं। सब-वे, स्टेशन तथा सैदूल-पार्क जैसे गार्डन में ऐसे प्रदर्शन किए जा सकते हैं। एक प्राचीन चीनी कहावत है—‘बच्चे नकलची होते हैं, इसलिए उन्हें नकल करने के लिए कुछ भी विषय दिया जा सकता है।’ भारत के आई.टी. हब बेंगलुरु में भी केस स्टडी किए जा सकते हैं तथा यहाँ भी गलियों में कला-प्रदर्शन किए जा सकते हैं। जो बच्चे भीख माँगते हैं, वे आसानी से यह रोजगार अपना सकते हैं। इससे उनका आत्म-सम्मान बढ़ेगा। पूरे बेंगलुरु में नहीं तो कम-से-कम लालबाग व कब्बन पार्क में यह प्रयोग किया जा सकता है। मोटिवेशन गुरु एन. रघुरामन की समाज को एक अनूठी दृष्टि से देखने की क्षमता का परिणाम है यह पुस्तक, जो जीवन को रूपांतरित करने का संदेश देती है|
About Author
बंबई विश्वविद्यालय से पोस्ट ग्रेजुएट और आई.आई.टी. (शैलेश जे. मेहता स्कूल ऑफ मैनेजमेंट) बंबई के पूर्व छात्र श्री एन. रघुरामन मँजे हुए पत्रकार हैं। 30 वर्ष से अधिक के अपने पत्रकारिता के कॅरियर में वे ‘इंडियन एक्सप्रेस’, ‘डीएनए’ और ‘दैनिक भास्कर’ जैसे राष्ट्रीय दैनिकों में संपादक के रूप में काम कर चुके हैं। उनकी निपुण लेखनी से शायद ही कोई विषय बचा होगा—अपराध से लेकर राजनीति और व्यापार-विकास से लेकर सफल उद्यमिता तक सभी विषयों पर उन्होंने सफलतापूर्वक लिखा है। ‘दैनिक भास्कर’ के सभी संस्करणों में प्रकाशित होनेवाला उनका दैनिक स्तंभ ‘मैनेजमेंट फंडा’ देश भर में लोकप्रिय है और तीन भाषाओं—मराठी, गुजराती व हिंदी में प्रतिदिन करीब 3 करोड़ पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है। इस स्तंभ की सफलता का राज है—असाधारण कार्य करनेवाले साधारण लोगों की कहानियों का हवाला देते हुए जीवन की सादगी का चित्रण। श्री एन. रघुरामन ओजस्वी, प्रेरक और प्रभावी वक्ता हैं; अनेक परिचर्चाओं और परिसंवादों के कुशल संचालक हैं। व्यक्ति की मानसिक शक्ति तथा अपनी क्षमता के अधिकतम इस्तेमाल करने के उनके स्फूर्तिदायक तरीकों की बहुत सराहना होती है।
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