![](https://padhegaindia.in/wp-content/themes/woodmart/images/lazy.png)
Save: 25%
![](https://padhegaindia.in/wp-content/themes/woodmart/images/lazy.png)
Save: 25%
Khunte Se Bandha Aadmi
Publisher:
| Author:
| Language:
| Format:
Publisher:
Author:
Language:
Format:
₹300 ₹225
Save: 25%
In stock
Ships within:
In stock
Book Type |
---|
ISBN:
Page Extent:
शेखर की ये कहानियाँ मात्र साहित्य की परंपरा की चौंकानेवाली कहानियाँ नहीं, बल्कि सदियों से चले आ रहे अत्याचार से आगाह करने और विषमता से लड़नेवाली कहानियाँ हैं। यह साहित्य की परंपरा की वे कहानियाँ नहीं, जो घटिया संपादकों और शिविरबद्ध आलोचकों की कृपादृष्टि की मोहताज हों, ये कहानियाँ प्रताडि़त मनुष्य की भयावह स्थितियों की कहानियाँ हैं, जो उस दलित मनुष्य के आध्यात्मिक ही नहीं, बल्कि उसके समग्र अस्तित्व के प्रश्नों को उठातीं और उनका उत्तर माँगती भी हैं और आगे बढ़कर उनका उत्तर देती भी हैं। इसीलिए इन कहानियों में तथाकथित साहित्यिक रचनात्मकता से अलग एक नए अर्थपूर्ण और मूल्यपूर्ण रूप से अपने समय को देखने की अभीप्सा है और यही इन कहानियों की मानवीय मूल्यवत्ता है। और शेखर की कहानियों की यह भी विशेषता है, जो रिपोर्ताज को भी अपनी सहज मानवीय लगन के सहारे एक कथात्मक दस्तावेज में तब्दील कर देती हैं और विधागत कहानियों को ज्यादा बड़े मानवीय सवालों और उनके अर्थों से जोड़ देती हैं। —कमलेश्वर.
शेखर की ये कहानियाँ मात्र साहित्य की परंपरा की चौंकानेवाली कहानियाँ नहीं, बल्कि सदियों से चले आ रहे अत्याचार से आगाह करने और विषमता से लड़नेवाली कहानियाँ हैं। यह साहित्य की परंपरा की वे कहानियाँ नहीं, जो घटिया संपादकों और शिविरबद्ध आलोचकों की कृपादृष्टि की मोहताज हों, ये कहानियाँ प्रताडि़त मनुष्य की भयावह स्थितियों की कहानियाँ हैं, जो उस दलित मनुष्य के आध्यात्मिक ही नहीं, बल्कि उसके समग्र अस्तित्व के प्रश्नों को उठातीं और उनका उत्तर माँगती भी हैं और आगे बढ़कर उनका उत्तर देती भी हैं। इसीलिए इन कहानियों में तथाकथित साहित्यिक रचनात्मकता से अलग एक नए अर्थपूर्ण और मूल्यपूर्ण रूप से अपने समय को देखने की अभीप्सा है और यही इन कहानियों की मानवीय मूल्यवत्ता है। और शेखर की कहानियों की यह भी विशेषता है, जो रिपोर्ताज को भी अपनी सहज मानवीय लगन के सहारे एक कथात्मक दस्तावेज में तब्दील कर देती हैं और विधागत कहानियों को ज्यादा बड़े मानवीय सवालों और उनके अर्थों से जोड़ देती हैं। —कमलेश्वर.
About Author
Reviews
There are no reviews yet.
Reviews
There are no reviews yet.