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Ubharte Bharat Ki Tasveer
Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Nandan Nilekani
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Prabhat Prakashan
Author:
Nandan Nilekani
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹800 ₹600
Save: 25%
In stock
Ships within:
1-4 Days
In stock
Book Type |
---|
ISBN:
Categories: Hindi, Social/Cultural
Page Extent:
54
1990 के दशक से भारत कई बड़े सामाजिक, राजनैतिक और सांस्कृतिक बदलावों का साक्षी रहा है। विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र और विविधताओं से भरे राष्ट्र की तेजी से विकसित होती अर्थव्यवस्था के मद्देनजर अब स्वतंत्रता के पैंसठ साल बाद भारत को उभरती हुई महाशक्ति माना जा रहा है। इस विशद और गंभीर पुस्तक में आधुनिक भारत को आकार देनेवाले मुख्य विचारों का विश्लेषण करते हुए देश के बेहतरीन और विचारशील चिंतकों में से एक नंदन नीलेकनी ने हमारे अतीत, वर्तमान और भविष्य पर मौलिक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है। वे बताते हैं कि कैसे अपनी अच्छी मंशाओं और भव्य आदर्शवाद के बावजूद भारत की शुरुआती समाजवादी नीतियों ने विकास में बाधा डाली और लोकतंत्र को कमजोर किया; आम धारणा के विपरीत देश की विशाल और शक्तिशाली युवा पीढ़ी कैसे अब इसकी सबसे बड़ी ताकत बन गई है; कैसे सूचना प्रौद्योगिकी न सिर्फ व्यापार में, बल्कि ज्यादातर भारतीयों की रोजमर्रा की जिंदगी में क्रांति ला रही है और कैसे तेजी से हो रहा शहरीकरण हमारे समाज और राजनीति को बदल रहा है। इसी के साथ उन्होंने भविष्य के लिए भी कुछ प्रश्न उठाए हैं—वैश्विक शक्ति बनने पर भारत कैसे विकास के पूर्व प्रतीकों द्वारा की गई गलतियों से बचेगा? क्या खुले बाजार में और ज्यादा पहुँच इस असाधारण विकास को प्रेरित करती रहेगी? और देश की युवा पीढ़ी इस विकास से किस रूप में प्रभावित होगी? एक समर्थ, सबल, शक्तिसंपन्न, स्वावलंबी भारत के स्वर्णिम भविष्य का मार्ग प्रशस्त करती चिंतनपरक कृति।
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Tasveer” Cancel reply
Description
1990 के दशक से भारत कई बड़े सामाजिक, राजनैतिक और सांस्कृतिक बदलावों का साक्षी रहा है। विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र और विविधताओं से भरे राष्ट्र की तेजी से विकसित होती अर्थव्यवस्था के मद्देनजर अब स्वतंत्रता के पैंसठ साल बाद भारत को उभरती हुई महाशक्ति माना जा रहा है। इस विशद और गंभीर पुस्तक में आधुनिक भारत को आकार देनेवाले मुख्य विचारों का विश्लेषण करते हुए देश के बेहतरीन और विचारशील चिंतकों में से एक नंदन नीलेकनी ने हमारे अतीत, वर्तमान और भविष्य पर मौलिक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है। वे बताते हैं कि कैसे अपनी अच्छी मंशाओं और भव्य आदर्शवाद के बावजूद भारत की शुरुआती समाजवादी नीतियों ने विकास में बाधा डाली और लोकतंत्र को कमजोर किया; आम धारणा के विपरीत देश की विशाल और शक्तिशाली युवा पीढ़ी कैसे अब इसकी सबसे बड़ी ताकत बन गई है; कैसे सूचना प्रौद्योगिकी न सिर्फ व्यापार में, बल्कि ज्यादातर भारतीयों की रोजमर्रा की जिंदगी में क्रांति ला रही है और कैसे तेजी से हो रहा शहरीकरण हमारे समाज और राजनीति को बदल रहा है। इसी के साथ उन्होंने भविष्य के लिए भी कुछ प्रश्न उठाए हैं—वैश्विक शक्ति बनने पर भारत कैसे विकास के पूर्व प्रतीकों द्वारा की गई गलतियों से बचेगा? क्या खुले बाजार में और ज्यादा पहुँच इस असाधारण विकास को प्रेरित करती रहेगी? और देश की युवा पीढ़ी इस विकास से किस रूप में प्रभावित होगी? एक समर्थ, सबल, शक्तिसंपन्न, स्वावलंबी भारत के स्वर्णिम भविष्य का मार्ग प्रशस्त करती चिंतनपरक कृति।
About Author
श्री नंदन नीलकेनी कैबिनेट मंत्री के दर्जे के साथ भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यू.आई.डी.ए.आई.) के अध्यक्ष हैं। वे इन्फोसिस टेक्नोलॉजी के सह संस्थापक एवं निदेशक मंडल में सह-अध्यक्ष थे।
श्री नीलकेनी भारत की सॉफ्टवेयर एवं सेवा कंपनियों के राष्ट्रीय संघ (नेस्काम) एवं बेंगलुरु चैप्टर के लिए दी इंडस इंटरप्रिन्यूर (टाई) के सह संस्थापक भी हैं। अंतरराष्ट्रीय अर्थशास्त्र संबंधों पर अनुसंधान के लिए भारतीय परिषद् (आई.सी.आर.आई.ई.आर.) के गवर्नर मंडल के सदस्य एवं एन.सी.ए.ई.आर. (भारतीय स्वतंत्र व्यावहारिक अर्थशास्त्र अनुसंधान संस्थान) के अध्यक्ष भी हैं।
बेंगलुरु में जनमे श्री नीलकेनी ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुंबई से विद्युत् यांत्रिकी में स्नातक किया। वर्ष 2005 में इन्हें अर्थशास्त्र एवं राजनीति शास्त्र पर नवीन सेवाओं के लिए प्रतिष्ठित जोसेफ शुमपीटर पुरस्कार मिला। वर्ष 2006 में उन्हें भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘पद्म भूषण’ प्रदान किया गया। प्रतिष्ठित पत्रिका ‘फोर्ब्स एशिया’ द्वारा उन्हें ‘बिजनेसमैन ऑफ द इयर’ से सम्मानित किया गया।
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