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Garbhawati Ki Dekhbhal
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आमतौर पर यह देखा जाता है कि गर्भावस्था में गर्भवती की उचित और आवश्यक देखभाल न हो पाने के कारण अनेक ऐसी शारीरिक परेशानियाँ आ खड़ी होती हैं, जो जच्चा-बच्चा दोनों के स्वास्थ्य को कुप्रभावित करती हैं। गर्भवती की आवश्यक देखभाल न हो पाने का कारण इस संबंध में जानकारी का अभाव है। यह पुस्तक इस अभाव की पूर्ति करती है। इसमें गर्भवती के स्वास्थ्य की दृष्टि से उसके खान-पान, रहन-सहन, वातावरण आदि पर बड़ी ही कुशलता से अनुभवपरक जानकारियाँ दी गई हैं। गर्भवती का आहार-विहार कैसा हो, शारीरिक परिवर्तनों की स्थिति में क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए, साधारण और विशेष परिस्थिति में क्या करें तथा स्त्रा् जननांगों एवं स्त्रा् रोगों से संबंधित ढेरों व्यावहारिक जानकारियाँ ‘स्वस्थ माता, स्वस्थ शिशु’ की परिकल्पना को साकार करने में मदद करेंगी। आमतौर पर यह देखा जाता है कि गर्भावस्था में गर्भवती की उचित और आवश्यक देखभाल न हो पाने के कारण अनेक ऐसी शारीरिक परेशानियाँ आ खड़ी होती हैं, जो जच्चा-बच्चा दोनों के स्वास्थ्य को कुप्रभावित करती हैं। गर्भवती की आवश्यक देखभाल न हो पाने का कारण इस संबंध में जानकारी का अभाव है। यह पुस्तक इस अभाव की पूर्ति करती है। इसमें गर्भवती के स्वास्थ्य की दृष्टि से उसके खान-पान, रहन-सहन, वातावरण आदि पर बड़ी ही कुशलता से अनुभवपरक जानकारियाँ दी गई हैं। गर्भवती का आहार-विहार कैसा हो, शारीरिक परिवर्तनों की स्थिति में क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए, साधारण और विशेष परिस्थिति में क्या करें तथा स्त्रा् जननांगों एवं स्त्रा् रोगों से संबंधित ढेरों व्यावहारिक जानकारियाँ ‘स्वस्थ माता, स्वस्थ शिशु’ की परिकल्पना को साकार करने में मदद करेंगी।
आमतौर पर यह देखा जाता है कि गर्भावस्था में गर्भवती की उचित और आवश्यक देखभाल न हो पाने के कारण अनेक ऐसी शारीरिक परेशानियाँ आ खड़ी होती हैं, जो जच्चा-बच्चा दोनों के स्वास्थ्य को कुप्रभावित करती हैं। गर्भवती की आवश्यक देखभाल न हो पाने का कारण इस संबंध में जानकारी का अभाव है। यह पुस्तक इस अभाव की पूर्ति करती है। इसमें गर्भवती के स्वास्थ्य की दृष्टि से उसके खान-पान, रहन-सहन, वातावरण आदि पर बड़ी ही कुशलता से अनुभवपरक जानकारियाँ दी गई हैं। गर्भवती का आहार-विहार कैसा हो, शारीरिक परिवर्तनों की स्थिति में क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए, साधारण और विशेष परिस्थिति में क्या करें तथा स्त्रा् जननांगों एवं स्त्रा् रोगों से संबंधित ढेरों व्यावहारिक जानकारियाँ ‘स्वस्थ माता, स्वस्थ शिशु’ की परिकल्पना को साकार करने में मदद करेंगी। आमतौर पर यह देखा जाता है कि गर्भावस्था में गर्भवती की उचित और आवश्यक देखभाल न हो पाने के कारण अनेक ऐसी शारीरिक परेशानियाँ आ खड़ी होती हैं, जो जच्चा-बच्चा दोनों के स्वास्थ्य को कुप्रभावित करती हैं। गर्भवती की आवश्यक देखभाल न हो पाने का कारण इस संबंध में जानकारी का अभाव है। यह पुस्तक इस अभाव की पूर्ति करती है। इसमें गर्भवती के स्वास्थ्य की दृष्टि से उसके खान-पान, रहन-सहन, वातावरण आदि पर बड़ी ही कुशलता से अनुभवपरक जानकारियाँ दी गई हैं। गर्भवती का आहार-विहार कैसा हो, शारीरिक परिवर्तनों की स्थिति में क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए, साधारण और विशेष परिस्थिति में क्या करें तथा स्त्रा् जननांगों एवं स्त्रा् रोगों से संबंधित ढेरों व्यावहारिक जानकारियाँ ‘स्वस्थ माता, स्वस्थ शिशु’ की परिकल्पना को साकार करने में मदद करेंगी।
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