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Uth Jaag Musafir
Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Viveki Rai
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Prabhat Prakashan
Author:
Viveki Rai
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹250 ₹188
Save: 25%
In stock
Ships within:
1-4 Days
In stock
Book Type |
---|
ISBN:
Categories: General Fiction, Hindi
Page Extent:
128
प्रस्तुत संकलन ‘उठ जाग मुसाफिर’ के ललित-निबंधों में पग-पग पर पाठकों को उल्लास-उमंग भरी शब्द-सुगंध का प्रसार मिलेगा, और वह भी वैचारिक छुअन के साथ। सृजित ललित-प्रसार अनुरंजन के साथ-साथ टूटते-बिखरते और सिमटते हताश जनों को जीने के प्रति आश्वस्त करता है। कसौटी है तृप्ति की, जो पाठकों को भरपूर रूप में मिलेगी। देश-काल और जीवन-दर्शन के साथ अपनी कृषि-संस्कृति, अपनी जमीन, गाँव-घर और इनसे जुड़े हुए पर्यावरणीय संदेश, संबंधित चिंतन-मंथन कृति को गंभीरता प्रदान करते हैं। आस्था, सकारात्मक भाव और सुलझाव रचनाओं के केंद्रीय भाव-तत्त्व हैं।
इन्हीं के साथ चलकर लेखक अपने प्रिय गाँवों की विस्तार से सुधि लेता है। आकर्षण में विवश होकर पाठक को भी उसके साथ कदम-से-कदम मिलाकर चलना पड़ता है। आप भी आमंत्रित हैं। विश्वास है कि पठनानंद से आपकी झोली भर जाएगी!
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Description
प्रस्तुत संकलन ‘उठ जाग मुसाफिर’ के ललित-निबंधों में पग-पग पर पाठकों को उल्लास-उमंग भरी शब्द-सुगंध का प्रसार मिलेगा, और वह भी वैचारिक छुअन के साथ। सृजित ललित-प्रसार अनुरंजन के साथ-साथ टूटते-बिखरते और सिमटते हताश जनों को जीने के प्रति आश्वस्त करता है। कसौटी है तृप्ति की, जो पाठकों को भरपूर रूप में मिलेगी। देश-काल और जीवन-दर्शन के साथ अपनी कृषि-संस्कृति, अपनी जमीन, गाँव-घर और इनसे जुड़े हुए पर्यावरणीय संदेश, संबंधित चिंतन-मंथन कृति को गंभीरता प्रदान करते हैं। आस्था, सकारात्मक भाव और सुलझाव रचनाओं के केंद्रीय भाव-तत्त्व हैं।
इन्हीं के साथ चलकर लेखक अपने प्रिय गाँवों की विस्तार से सुधि लेता है। आकर्षण में विवश होकर पाठक को भी उसके साथ कदम-से-कदम मिलाकर चलना पड़ता है। आप भी आमंत्रित हैं। विश्वास है कि पठनानंद से आपकी झोली भर जाएगी!
About Author
विवेकी राय—जन्म : 19 नवंबर, 1924 को गाँव : भरौली, जिला बलिया (उ.प्र.) में।
शिक्षा : पैतृक गाँव : सोनवानी, जिला : गाजीपुर में। शुरू में कुछ समय खेती-बारी में जुटने के बाद अध्यापन कार्य में संलग्न।
रचना-संसार : ‘बबूल’, ‘पुरुषपुराण’, ‘लोकऋण’, ‘श्वेत-पत्र’, ‘सोनामाटी’, ‘समर शेष है’, ‘मंगल-भवन’, ‘नमामि ग्रामम्’, ‘अमंगलहारी एवं देहरी के पार’ (उपन्यास); ‘फिर बैतलवा डाल पर’, ‘जुलूस रुका है’, ‘गँवई गंध गुलाब’, ‘मनबोध मास्टर की डायरी’, ‘वन-तुलसी की गंध’, ‘आम रास्ता नहीं है’, ‘जगत् तपोवन सो कियो’, ‘जीवन अज्ञात का गणित है’, ‘चली फगुनहट बौरे आम’ (ललित-निबंध); ‘जीवन परिधि’, ‘गूँगा जहाज’, ‘नई कोयल’, ‘कालातीत’, ‘बेटे की बिक्री’, ‘चित्रकूट के घाट पर’, ‘सर्कस’ (कहानी-संग्रह); छह कविता-संग्रह, तेरह समीक्षा ग्रंथ, दो व्यक्तित्व व कृतित्व पर आधारित ग्रंथ, दो संस्मरण ग्रंथ, चार विविध, नौ ग्रंथ लोकभाषा भोजपुरी में भी, पाँच संपादन। कई कृतियों का अन्य भाषाओं में अनुवाद। 85 से अधिक पी-एच.डी.।
सम्मान-पुरस्कार : प्रेमचंद पुरस्कार, साहित्य भूषण तथा महात्मा गांधी सम्मान, नागरिक सम्मान, यश भारती, आचार्य शिवपूजन सहाय पुरस्कार, राष्ट्रीय शरद जोशी सम्मान, महापंडित राहुल सांकृत्यायन सम्मान, सेतु सम्मान, साहित्य वाचस्पति, महावीर प्रसाद द्विवेदी सम्मान । स्मृतिशेष : 22 नवंबर, 2016
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