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1000 Samajshastra Prashnottari
Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Mohananand Jha
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Prabhat Prakashan
Author:
Mohananand Jha
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹500 ₹350
Save: 30%
In stock
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1-4 Days
In stock
Book Type |
---|
ISBN:
Categories: General Fiction, Hindi
Page Extent:
256
एक पृथक् व स्वतंत्र विषय के रूप में समाजशास्त्र का प्रादुर्भाव पिछली शताब्दी में ही हुआ है। मनु, कौटिल्य, कन्फ्यूशियस, लाओत्से, प्लूटो, सुकरात तथा अरस्तू आदि अनेक प्रसिद्ध सामाजिक दार्शनिक हुए हैं। सामाजिक घटनाओं के व्यवस्थित व क्रमबद्ध अध्ययन तथा विश्लेषण हेतु एक पृथक् एवं स्वतंत्र विज्ञान समाजशास्त्र का नामकरण फ्रांसीसी विद्वान् ऑगस्त कॉम्ट (1798-1857) ने किया। सन् 1876में सर्वप्रथम येल विश्वविद्यालय, अमेरिका में समाजशास्त्र के अध्ययन-अध्यापन का कार्य प्रारंभ हुआ। भारत में सन् 1914 में बंबई विश्वविद्यालय में इस विषय का अध्ययन कार्य प्रारंभ हुआ। वर्तमान में अनेक विश्वविद्यालयों में समाजशास्त्र से संबंधित शोध हो रहे हैं। आज समाजशास्त्र एक स्वतंत्र एवं प्रतिष्ठित विषय के रूप में विद्यालय से विश्वविद्यालय तक के विविध पाठ्यक्रमों में पढ़ाया जा रहा है। प्रस्तुत पुस्तक में समाजशास्त्र के अति महत्त्वपूर्ण पक्षों को प्रश्नोत्तर शैली में प्रस्तुत किया गया है, जिससे न केवल समाजशास्त्र के शिक्षार्थी बल्कि अन्य प्रतियोगी परीक्षार्थी व जिज्ञासु पाठक भी लाभान्वित होंगे।.
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Prashnottari” Cancel reply
Description
एक पृथक् व स्वतंत्र विषय के रूप में समाजशास्त्र का प्रादुर्भाव पिछली शताब्दी में ही हुआ है। मनु, कौटिल्य, कन्फ्यूशियस, लाओत्से, प्लूटो, सुकरात तथा अरस्तू आदि अनेक प्रसिद्ध सामाजिक दार्शनिक हुए हैं। सामाजिक घटनाओं के व्यवस्थित व क्रमबद्ध अध्ययन तथा विश्लेषण हेतु एक पृथक् एवं स्वतंत्र विज्ञान समाजशास्त्र का नामकरण फ्रांसीसी विद्वान् ऑगस्त कॉम्ट (1798-1857) ने किया। सन् 1876में सर्वप्रथम येल विश्वविद्यालय, अमेरिका में समाजशास्त्र के अध्ययन-अध्यापन का कार्य प्रारंभ हुआ। भारत में सन् 1914 में बंबई विश्वविद्यालय में इस विषय का अध्ययन कार्य प्रारंभ हुआ। वर्तमान में अनेक विश्वविद्यालयों में समाजशास्त्र से संबंधित शोध हो रहे हैं। आज समाजशास्त्र एक स्वतंत्र एवं प्रतिष्ठित विषय के रूप में विद्यालय से विश्वविद्यालय तक के विविध पाठ्यक्रमों में पढ़ाया जा रहा है। प्रस्तुत पुस्तक में समाजशास्त्र के अति महत्त्वपूर्ण पक्षों को प्रश्नोत्तर शैली में प्रस्तुत किया गया है, जिससे न केवल समाजशास्त्र के शिक्षार्थी बल्कि अन्य प्रतियोगी परीक्षार्थी व जिज्ञासु पाठक भी लाभान्वित होंगे।.
About Author
जन्म: 4 जनवरी, 1955 को खराजपुर, लहेरिया सराय, दरभंगा (बिहार) में। शिक्षा: एम.ए. द्वय (समाजशास्त्र एवं संगीत, प्रथम श्रेणी)। एम.एड. (शिक्षाशास्त्र), पी-एच.डी. (पटना विश्वविद्यालय)। कृतित्व: संगीतिका, मिथिला सांस्कृतिक परंपरा में लोकगीत, विद्यापति भक्ति संगीत, राग-ताल युक्त लहरा, 1000 संगीत प्रश्नोत्तरी पुस्तकें तथा विविध पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित। ललित कला संगीत व समाज-शास्त्रीय अनुसंधान तथा साहित्य-सृजन। वेटिकन, रोम (विदेश प्रसारण सेवा) के हिंदी सेवा प्रभाग द्वारा अनेक रेडियो रूपक प्रसारित।.
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