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Brahmos Ki Safalta Ke Mantra
Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
A. Sivathanu Pillai
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Prabhat Prakashan
Author:
A. Sivathanu Pillai
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹450 ₹315
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1-4 Days
In stock
Book Type |
---|
ISBN:
Categories: Hindi, Warfare/Defence
Page Extent:
228
प्रोफेशनल को ब्रह्मोस से बहुत कुछ सीखना है—कुछ भी नामुमकिन नहीं। इस पुस्तक में ब्रह्मोस की यात्रा का वर्णन किया गया है, जिसने भारत को तीव्रतम, उच्च, परिशुद्ध, सुपर-सोनिक क्रूज मिसाइल के साथ मिसाइल प्रौद्योगिकी का लीडर बना दिया। भारत तथा रूस द्वारा मिलकर किए गए अनूठे संयुक्त प्रयास के कारण इतने कम समय में यह उपलब्धि प्राप्त हुई। यह इस ‘अनजान मार्ग’ का पहला अनुभव है, जिससे उजागर होता है कि ‘हम ऐसा कर सकते हैं।’ इस पुस्तक में दरशाया गया है कि इस समय ‘उत्कृष्ट प्रबंधन पद्धतियों’ तथा ‘बाजार दृष्टिकोण की मनोवृत्ति’ के माध्यम से मात्र 300 मिलियन डॉलर का निवेश करके 6 बिलियन डॉलर से अधिक ऑर्डर डिलीवर किए जा चुके हैं। यह अपनी किस्म का पहला अद्वितीय मॉडल है, जिसमें भारत-रूस ने 50.5: 49.5 प्रतिशत पूँजी निवेश किया तथा पहली सरकारी स्वामित्व की प्राइवेट तौर पर संचालित कंपनी (जीओपीओ) बनी; इसमें निर्णय लेने की प्रक्रिया में तेजी लाना सुनिश्चित किया गया—परिणाम उत्पाद की समयोचित प्राप्ति! दोनों देशों के बीच सहयोग से प्रौद्योगिकी की दृष्टि से ‘अनूठी प्रगति’ (leap Frog effect) हुई, जिससे दोनों भागीदारों को बराबर लाभ हुआ। देश की वृद्धि/उन्नति के लिए इस सफल मॉडल का आसानी से अनुकरण (replicate) किया जा सकता है|
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Description
प्रोफेशनल को ब्रह्मोस से बहुत कुछ सीखना है—कुछ भी नामुमकिन नहीं। इस पुस्तक में ब्रह्मोस की यात्रा का वर्णन किया गया है, जिसने भारत को तीव्रतम, उच्च, परिशुद्ध, सुपर-सोनिक क्रूज मिसाइल के साथ मिसाइल प्रौद्योगिकी का लीडर बना दिया। भारत तथा रूस द्वारा मिलकर किए गए अनूठे संयुक्त प्रयास के कारण इतने कम समय में यह उपलब्धि प्राप्त हुई। यह इस ‘अनजान मार्ग’ का पहला अनुभव है, जिससे उजागर होता है कि ‘हम ऐसा कर सकते हैं।’ इस पुस्तक में दरशाया गया है कि इस समय ‘उत्कृष्ट प्रबंधन पद्धतियों’ तथा ‘बाजार दृष्टिकोण की मनोवृत्ति’ के माध्यम से मात्र 300 मिलियन डॉलर का निवेश करके 6 बिलियन डॉलर से अधिक ऑर्डर डिलीवर किए जा चुके हैं। यह अपनी किस्म का पहला अद्वितीय मॉडल है, जिसमें भारत-रूस ने 50.5: 49.5 प्रतिशत पूँजी निवेश किया तथा पहली सरकारी स्वामित्व की प्राइवेट तौर पर संचालित कंपनी (जीओपीओ) बनी; इसमें निर्णय लेने की प्रक्रिया में तेजी लाना सुनिश्चित किया गया—परिणाम उत्पाद की समयोचित प्राप्ति! दोनों देशों के बीच सहयोग से प्रौद्योगिकी की दृष्टि से ‘अनूठी प्रगति’ (leap Frog effect) हुई, जिससे दोनों भागीदारों को बराबर लाभ हुआ। देश की वृद्धि/उन्नति के लिए इस सफल मॉडल का आसानी से अनुकरण (replicate) किया जा सकता है|
About Author
ए. शिवताणु पिल्लै प्रख्यात रक्षा प्रौद्योगिकीविद् तथा विश्व की सर्वोत्तम क्रूज मिसाइल ‘ब्रह्मोस’ के शिल्पी डॉ. अपातुकथा शिवताणु पिल्लै का इसरो और डी.आर.डी.ओ. में भारत के प्रक्षेपण व्हीकल तथा मिसाइल कार्यक्रमों (एलवीएम) का चार दशकों का समृद्ध अनुभव रहा है। उन्हें भारत के एयरोस्पेस सिस्टम में ‘प्रौद्योगिकी लीडर’ के रूप में ख्याति मिली। अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशालाओं के कौशलों की नैटवर्किंग एवं बहु-परियोजना पर्यावरण, उद्योग एवं अकादमियों में इनके दीर्घ अनुभव के कारण अति महत्त्वपूर्ण एवं संवेदनशील प्रौद्योगिकी की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त हुआ। इसके परिणामस्वरूप मिसाइल, जल के भीतर सेंसर आदि अनेक प्रणालियों तथा सफल अनूठे उद्यम ‘ब्रह्मोस’ का विकास हुआ। ब्रह्मोस ब्रांड को भारतीय वायुसेना में सफलतापूर्वक प्रमुख प्रहारक अस्त्र के रूप में शामिल किया गया। श्री पिल्लै ने अनेक पुस्तकें लिखीं, जिनमें कई डॉ. ए.पी.जे. कलाम के साथ मिलकर लिखी गई हैं। भारत तथा विदेशों में अनेक अकादमिक संस्थाओं ने उनके वैज्ञानिक योगदान का सम्मान किया तथा उन्हें ‘डॉक्टर ऑफ साइंस’ की उपाधि से अलंकृत किया, प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया, है, जिनमें भारत सरकार के ‘पद्मश्री’ एवं ‘पद्म विभूषण’ तथा रूसी फेडरेशन के ‘ऑर्डर फ्रेंडशिप’ प्रमुख हैं|
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