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Jharkhand Ki Lokkathayen
Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Dr. Mayank Murari
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Prabhat Prakashan
Author:
Dr. Mayank Murari
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹400 ₹280
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In stock
Ships within:
1-4 Days
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Book Type |
---|
ISBN:
SKU
9789387968844
Categories General Fiction, Hindi
Tag Modern and contemporary fiction: general and literary
Categories: General Fiction, Hindi
Page Extent:
168
भारतीय संस्कृति केवल लिखित शास्त्रों में ही नहीं, बल्कि यह मौखिक परंपराओं के कारण भी समृद्ध हुई है। मौखिक परंपरा में लोक-साहित्य एक बड़ा क्षेत्र है, जिसमें लोककथाएँ, कहावतें, लोरियाँ, लोक-खेल, लोक-गीत और लोक-नाट्य शामिल हैं। लोक-साहित्य भारतवर्ष नामक भवन का आधार है, जिस पर समस्त भारतीय साहित्य टिका हुआ है।
लोककथाएँ किसी क्षेत्र विशेष की कथाएँ हैं, जो परंपरागत रूप से पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलती जाती हैं। इनका अस्तित्व जनश्रुतियों के माध्यम पर निर्भर करता है। लोककथा की प्राचीनता भारतीय संस्कृति के इतिहास के साथ जुड़ी है।
लोक-जीवन में प्रचलित कथाओं की भावभूमि पर ही हितोपदेश, वेताल पंचविंशति, जातक कथा, बृहत्कथा मंजरी जैसे ग्रंथों में कथाओं की रचना की गई। लोककथा मंगलकामना की भावना को समावेशित किए होती है। सबके सुख, शुभ और मंगल की कामना एवं चाहत ही लोककथाओं का मूल संदेश होता है। युगों से लोककथाएँ मानव-मूल्यों का संवहन करती रही हैं। यह एक सच्चाई है कि जैसे-जैसे हमारे जीवन से लोक एवं लोककथाएँ गुम होती गईं, वैसे-वैसे मानव-मूल्यों का भी क्षरण होता गया।
इस संकलन में झारखंड की पंचपरगनिया, कुडुख, संताली आदि की कुछ चुनिंदा लोककथाओं का संकलन किया है जिनसे वहाँ की समृद्ध लोक-संस्कृति, परिवेश और परंपराओं की जानकारी पाठकों को मिल सकेगी।
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Lokkathayen” Cancel reply
Description
भारतीय संस्कृति केवल लिखित शास्त्रों में ही नहीं, बल्कि यह मौखिक परंपराओं के कारण भी समृद्ध हुई है। मौखिक परंपरा में लोक-साहित्य एक बड़ा क्षेत्र है, जिसमें लोककथाएँ, कहावतें, लोरियाँ, लोक-खेल, लोक-गीत और लोक-नाट्य शामिल हैं। लोक-साहित्य भारतवर्ष नामक भवन का आधार है, जिस पर समस्त भारतीय साहित्य टिका हुआ है।
लोककथाएँ किसी क्षेत्र विशेष की कथाएँ हैं, जो परंपरागत रूप से पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलती जाती हैं। इनका अस्तित्व जनश्रुतियों के माध्यम पर निर्भर करता है। लोककथा की प्राचीनता भारतीय संस्कृति के इतिहास के साथ जुड़ी है।
लोक-जीवन में प्रचलित कथाओं की भावभूमि पर ही हितोपदेश, वेताल पंचविंशति, जातक कथा, बृहत्कथा मंजरी जैसे ग्रंथों में कथाओं की रचना की गई। लोककथा मंगलकामना की भावना को समावेशित किए होती है। सबके सुख, शुभ और मंगल की कामना एवं चाहत ही लोककथाओं का मूल संदेश होता है। युगों से लोककथाएँ मानव-मूल्यों का संवहन करती रही हैं। यह एक सच्चाई है कि जैसे-जैसे हमारे जीवन से लोक एवं लोककथाएँ गुम होती गईं, वैसे-वैसे मानव-मूल्यों का भी क्षरण होता गया।
इस संकलन में झारखंड की पंचपरगनिया, कुडुख, संताली आदि की कुछ चुनिंदा लोककथाओं का संकलन किया है जिनसे वहाँ की समृद्ध लोक-संस्कृति, परिवेश और परंपराओं की जानकारी पाठकों को मिल सकेगी।
About Author
डॉ. मयंक मुरारी भारतीय जीवन, धर्म और दर्शन विषय पर लिखते हैं। समाज, इतिहास और लोकजीवन के अंतर्निहित मूल्य और आध्यात्मिक पहलुओं पर विशेष चिंतन करते हैं। अपने 25 सालों के सार्वजनिक जीवन में अखबारों एवं पत्रिकाओं में अब तक 400 से अधिक आलेख और आधा दर्जन से अधिक पुस्तकें प्रकाशित। उनके कार्यों एवं योगदान के लिए झारखंड रत्न, हिंदुस्तान टाइम्स समूह का कर्तव्य अवार्ड, आइ.एल.ओ. की ओर से जिनेवा में प्रकाशित जर्नल में सम्मान संदेश, लायंस क्लब ऑफ राँची की ओर से समाज सेवा के लिए अवॉर्ड के अलावा झारखंड सरकार तथा अन्य संस्थाओं के द्वारा कई सम्मान एवं पुरस्कार दिए गए हैं। व्यक्तित्व विकास, प्रेरणा और संवाद के अलावा वे भारतीय परंपरा एवं जीवन पर व्याख्यान देते हैं। इसके अलावा आध्यात्मिकता और भारतीय दर्शन पर आधारित उनके आलेख देश के प्रायः सभी प्रतिष्ठित समाचार-पत्रों में नियमित रूप से प्रकाशित होते हैं। वर्तमान में उषा मार्टिन में वरीय उपमहाप्रबंधक (जनसंपर्क और सी.एस.आर.) के पद पर राँची, झारखंड में कार्यरत हैं।. --This text refers to an out of print or unavailable edition of this title.
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