Vedik Vichar
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जीवन तनावों से भरा हुआ है। काम और घर में पिसते हुए व्यक्ति के लिए शांति की तलाश बहुत ही अहम है। मोक्ष के लिए प्रार्थनाएँ और ईश्वर को प्राप्त करने का मार्ग अति आवश्यक है। इस पुस्तक में ब्रिगेडियर चितरंजन सावंत (सेवानिवृत्त) ने अपनी 50 वर्षों की सार्वजनिक वार्त्ताओं के माध्यम से समाज के अंधविश्वासों एवं पारंपरिक धार्मिक समारोहों से हटकर जीवन के वैदिक मार्ग पर चलने का आह्वान किया है। जीवन का वैदिक मार्ग प्रार्थनाओं और हवन के द्वारा शांति व पर्यावरणीय शुद्धि के माध्यम से हमारा अंतिम लक्ष्य ‘मोक्ष’ यानी जन्म, मरण और पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति दिलाने में सहायक होता है। इस पुस्तक में ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद के मंत्र अपनी पूर्ण मौलिकता के साथ प्रस्तुत हैं तथा लेखक ने अपनी सुबोध भाषा के साथ इनकी व्याख्या भी की है। क्या वरिष्ठ नागरिक और समाज अपने परिवारों पर बोझ हैं? वे स्वयं को बेकार समझते हुए भविष्य से भयग्रस्त रहते हैं। अकसर हममें से बहुत से लोग ऐसा ही महसूस करते हैं. ब्रिगेडियर सावंत ने वेदों के उद्धरण के माध्यम से वरिष्ठ नागरिकों के वानप्रस्थ और संन्यास आश्रम से होनेवाली सामाजिक भूमिका के महत्त्व को स्पष्ट किया है। उन्होंने मृत्यु और अनिश्चित भविष्य से भयभीत न रहने का परामर्श दिया है, क्योंकि यह तो आत्मा की मोक्ष की यात्रा के गुजरनेवाले पहलू हैं। यह पुस्तक अपने में चारों वेदों के ज्ञान का अमृत समेटे हुए है। यह उन लोगों को अवश्य पढ़नी चाहिए, जो अपने जीवन को एक अर्थ देना चाहते हैं।.
जीवन तनावों से भरा हुआ है। काम और घर में पिसते हुए व्यक्ति के लिए शांति की तलाश बहुत ही अहम है। मोक्ष के लिए प्रार्थनाएँ और ईश्वर को प्राप्त करने का मार्ग अति आवश्यक है। इस पुस्तक में ब्रिगेडियर चितरंजन सावंत (सेवानिवृत्त) ने अपनी 50 वर्षों की सार्वजनिक वार्त्ताओं के माध्यम से समाज के अंधविश्वासों एवं पारंपरिक धार्मिक समारोहों से हटकर जीवन के वैदिक मार्ग पर चलने का आह्वान किया है। जीवन का वैदिक मार्ग प्रार्थनाओं और हवन के द्वारा शांति व पर्यावरणीय शुद्धि के माध्यम से हमारा अंतिम लक्ष्य ‘मोक्ष’ यानी जन्म, मरण और पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति दिलाने में सहायक होता है। इस पुस्तक में ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद के मंत्र अपनी पूर्ण मौलिकता के साथ प्रस्तुत हैं तथा लेखक ने अपनी सुबोध भाषा के साथ इनकी व्याख्या भी की है। क्या वरिष्ठ नागरिक और समाज अपने परिवारों पर बोझ हैं? वे स्वयं को बेकार समझते हुए भविष्य से भयग्रस्त रहते हैं। अकसर हममें से बहुत से लोग ऐसा ही महसूस करते हैं. ब्रिगेडियर सावंत ने वेदों के उद्धरण के माध्यम से वरिष्ठ नागरिकों के वानप्रस्थ और संन्यास आश्रम से होनेवाली सामाजिक भूमिका के महत्त्व को स्पष्ट किया है। उन्होंने मृत्यु और अनिश्चित भविष्य से भयभीत न रहने का परामर्श दिया है, क्योंकि यह तो आत्मा की मोक्ष की यात्रा के गुजरनेवाले पहलू हैं। यह पुस्तक अपने में चारों वेदों के ज्ञान का अमृत समेटे हुए है। यह उन लोगों को अवश्य पढ़नी चाहिए, जो अपने जीवन को एक अर्थ देना चाहते हैं।.
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